Home कविताएं ‘सद-भाव रखिए ,अपने नजदीक के वातावरण को सुंदर बनाइये ‘|

‘सद-भाव रखिए ,अपने नजदीक के वातावरण को सुंदर बनाइये ‘|

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[1]

‘कर्मपथ  पर  चलने  के  भाव  का  प्रभाव  होना  सुनिश्चित  है ‘,
‘ चला  चल  बिना  सोचे  कि  क्या  परिणाम  निकलेगा ‘|

[2]

”सर्वहित  में  किए  कर्म  मानवता  पर,
‘अमित  प्रभाव  डालते  हैं ‘,
‘कर्मकारक  दुष्कर्मों  से  बचा  रहता  है ,
‘प्रभू  की  कृपा  बरसती  है ‘|
[3]
 ‘सभी  अपनापन  दिखाते  हैं , हकीकत  में  सिर्फ  धोखा  सा  है ‘,
‘हर  तरफ  ‘ दिखावट ‘ और  ‘ बनावट ‘  के  अंगूर  लटके  हैं ‘|
[4]
‘हमारी ‘उम्र’  कटते-कटते  यादों  की  किताब  सरीखी  बन  गयी ‘,
‘न  अब  हम  ‘वो ‘रहे ,न अब  वे ‘वो ‘रहे ,’सन्नाटा  है  चारों  तरफ ‘|
[5]
‘जो  ज्यादा  नजदीक  होता  है’ ,
‘उसी  से  खुल  कर  बात  होती  है ‘,
‘नज़दीकियाँ  घटती  गयी,’                                                                                                                                                                                                            ‘दूरियों  का  जाल  बिछता  चला  गया ‘|
[6]
 सम्बन्धों  की  दीवार  में  जब  प्यार  की  दवा  छिड़क  दी  जाती  है ‘,
‘जख्म तो भरते ही  हैं ,जीने का मज़ा  भी चौगुना  हो जाया करता  है ‘|
[7]
प्रश्न ! ‘शायद  हमें  कोई  भूल  गया  है  यह  अहसास  क्यों ?
उत्तर ! ‘हर  शाम  उदासी  में  गुजरती  है  , हम  क्या  करें ?
[8]
‘सब कुछ  मिलता  है  यहाँ  फिर  भी, 
‘आदमी  परेशान  सा  क्यों  है’ ?
‘शायद  अरमान  ज्यादा  हैं  पूरे  नहीं  होते’ ,
‘शांति  नहीं  मिलती’|
[9]
‘सभी  के  रेत  के  घर   हैं , वो  भी  छोड़  कर  जाना ‘,
‘लालची पेट  भरता  ही नहीं , यही  सबकी कहानी  है ‘|
[10]
‘समाज  से  अच्छे  विचार  मिलते  तो  हैं ,
‘पर  उनका  असर  होता  नहीं ‘,
‘ये  विचार  मेरे  लिए  नहीं  ओरों  के  लिए  हैं ,
‘कह  कर  भूल  जाते  हैं  सभी’|
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