Home कविताएं ‘सद-बुद्धि का सदुप्रयोग काम आता है ‘

‘सद-बुद्धि का सदुप्रयोग काम आता है ‘

2 second read
0
0
884

[1]

‘मुसीबतों  से  नहीं  उल्झे  तो  मजबूत  नहीं  हो  पाओगे ‘,
‘ये  ही तो  सिखाती  हैं ,’कठिनाई  में  कैसे  जिया  जाए ‘?

[2]

‘वक्त  ठीक  नहीं  है  तो  ‘सुबुद्धि’  भी ‘ कुबुद्धि ‘ में  बदल  जाती  है ‘,
‘घबरा  कर  भटक  गए  तो  ‘वक्त’ अपना  रंग  दिखाता  जरूर  है ‘|

[3]

‘असमानताएं  हर  जगह  हैं ,
‘फिर  घबराना  किसलिए ‘?
‘जीभ’  दातों  के  बीच  रहती  है’ ,
‘अपने  काम  से  पीछे  नहीं  हटती  फिर  भी ‘|

[4]

‘हमारी  न्याय  प्रणाली  की  रफ्तार  बहुत  ढीली  है ‘,
‘फैसला  आते-आते  ,  जवानी  से बुढ़ापा  आ  गया ‘|

[5]

जब सर्वोच्च न्यायालय से फाइलें गायब होने लगी’ ,
‘आम-जन कैसे जिएगा देश में ,अब ये ही सवाल है ‘,
‘सबकुछ बिक सकता है देश में ,जब ‘जमीर’ है ही नहीं’ ,
‘सरकारी अमले को थोड़ा ‘जमीर’ बख्श दे मेरे दाता ‘|

[6]

‘हर पल श्रेष्ठ है , हर पल को’ 
‘खुशनुमा हो कर बिताईये ‘,
‘अगला पल मिले या न मिले’ ,
‘कोई कह नहीं सकता ‘|

[7]

‘छोटी-मोटी बातों को दिल में जगह दोगे तो कमजोर रहोगे’, 
‘बड़े दिल वाले बनों ,’बड़ी सोच जगाओ’,’बड़े बन जाओगे ‘|

]8]

‘नफरत करते हो तो करते रहो’ ,
‘ये आपका अनुमान है ‘,
‘हम तो सत्कर्म में संलग्न हैं ‘,
‘उसी से फुर्सत नहीं ‘|

[9]

‘जब स्वम दर्द से गुज़रोगे तभी’,
‘दूसरों के दर्द को समझोगे ‘,
‘जो मखमली गद्दों पर रहते हैं ‘,
‘दर्द का अहसास होता ही नहीं ‘|

[10]

‘सफलता मिलने के पश्चात’ ,
‘उसे पचाये रखना ज्यादा महत्वपूर्ण है’,
‘घमंडी होते देर नहीं लगती ‘,
‘पैर जमीन पर नहीं रहते ‘|

Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…