Home Uncategorized ‘सदा ‘पाने का प्रयास’ है ,’ देने की’ कोशिश नहीं ,’ गजब इंसान ‘ हैं हम तो |

‘सदा ‘पाने का प्रयास’ है ,’ देने की’ कोशिश नहीं ,’ गजब इंसान ‘ हैं हम तो |

2 second read
0
0
545

[1]

जरा सोचो 
हमारे  ‘शब्दों  का  जाल-‘ ‘बयां’  करते  करते  थक  गया,
उनकी ‘खामोशी’ न  जाने  क्या-क्या ‘बयां’  करती  रही ![2]

[2]

जरा सोचो
‘अस्तित्व’  पर ‘खरोंचे’  उभर  गई,  तब  ‘समझदारी’  आई,
बाल  सफेद, दांत  खत्म, आंख  पर  चश्मा,  बचा  केवल !

[3]

जरा सोचो
‘छली’  हो  आज  नहीं  तो  कल  ‘छल’  मिलना  ‘सुनिश्चित’  है,
‘पाप  का  घड़ा’ फूट जाता  है, ‘शानपत’ ज्यादा देर नहीं चलती’ !

[4]

जरा सोचो
हम ‘आंसुओं’ को ‘बहने’ नहीं  देते, ‘दर्द’  को ‘उभरने’ नहीं  देते,
कोई  कितना  भी  ‘तोड़’  डालें,  ‘खुद’  को  ‘बिखरने’  नहीं  देते !

[5]

जरा सोचो
‘प्यार’  का  कोई  ‘पैमाना’  नहीं, अन्यथा  उसकी  ‘थाह’  बता  देते ,
‘इम्तिहान’ भी  नहीं  होता, ‘शत-प्रतिशत’  पास  होकर  दिखा  देते |

[6]

जरा सोचो
सदा  ‘पाने’  का  प्रयास  है  ‘देने’  की  कोशिश  नहीं,
‘बरकत और सम्मान’ दोनों पाओगे, अगर ‘देते’ रहें !

[7]

जरा सोचो
जब  ‘खुद’  पर  ‘गुजरती’  है  तभी  ‘बातें’  समझ  में  आती  है,
‘नासमझी’ नहीं, ‘जिद  की  चासनी’ में ‘लिपटा’ पड़ा  है  आदमी !

[8]

जरा सोचो
‘कान’  भरने  वाले ‘अनेक’  पर ‘काम’  करने  वाले  नहीं  मिलते,
क्या  ‘यूं  ही’ ‘देश  का  इतिहास  लिखा  जाएगा,  हम  ‘धन्य’  हैं !

[9]

जरा सोचो
‘कठिनाइयों’ का आना  ही ‘मंजिल’ की  ओर ‘बढ़ने’ का  इशारा  है,
‘डर’  गए  तो  ‘मर’ गए,  ‘आगे’  बढ़े  तो  ‘जीत’  निश्चित  समझ !

[10]

जरा सोचो
‘जिंदादिल’  इंसान  को  क्या  खाक  ‘ हराएगा ‘  कोई,
‘उम्र का पड़ाव’ भी ‘झुक’ कर ‘सलाम’ करता है उसको !

Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In Uncategorized

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…