Home ज़रा सोचो “सदगुण , स्वभाव ,सुविचार ,सत्संग सही हो तो जीवन बदल सकता है ” |

“सदगुण , स्वभाव ,सुविचार ,सत्संग सही हो तो जीवन बदल सकता है ” |

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[1]

‘हर  ऊंचे  ओहदे  वाला  ‘इंसान’ अच्छा  होता  है,
‘ क्या  गारंटी  है ?
‘प्यार  से  सरोवर  ‘इंसान’  सर्व  गुणी  भी  हो,
‘यह  भी  गारंटी  नहीं’ !

[2]

‘मेहनत, लगन  और  फिटनेस,  पर  सदा  फोकस  बनाए  रखो,
‘सफलता’ मिलना  और  बरकरार  रखना,’बेहद  जरूरी  काम  है’ !

[3]

‘समय और सोच में बदलाव  के साथ, अभिवादन  का स्वरूप बदलता  जा  रहा  है,
‘प्यार  मोहब्बत  से  ज्यादा  साफ – सुथरी  दोस्ती  को  तवज्जो  देते  हैं  सभी |

[4]

‘ग्रहणी’ का खाना बनाना, बच्चों की परवरिश, मेजवानी,’ एहसास कराती है,
‘वह  एक  ‘ आत्मविश्वास  और  खूबसूरती  की  योजना ‘  का  प्रारूप  है ‘ !

[5]

‘ चाहे  पंजा  कसे , व्यंग्यात्मक  रहे ,  या  बेबाक  तरीका ,  अपनाए  कोई,
‘ऑप्शन का जमाना है, सजक रहकर ‘अपनी पहचान’ बनाने की जरूरत है’ !

[6]

‘जो  ‘काम’  सदा  बुरी  तरह  ‘हावी ‘ हो,
‘आदमी  को  तोड़  देता  है,
‘मत  दोहराओ , ‘काम  रुचिकर  नहीं  था’,
‘बस  प्रयास  जारी  रखो’ 

[7]

‘मैं  दीपक  हूं , ‘ प्रलय  की  आंधियों ‘ से  लड़ता  रहूंगा,
‘तुम सभी रोशन रहो,’मेरा कर्म जलना है,जलता रहूंगा’ !

[8]

‘जेसी  हम  दूसरे  के  ‘दुर्गुणों’ को  बखान  करने  में  ‘उत्सुक’  ऱहते  हैं,

‘वैसे  ही  अपने  ‘गुणों ‘  को ‘प्रकट  करने  में’  भी लालायित  रहते  हैं’ !

[9]

‘चंचलता’ मन का स्वभाव है, दौड़ेगा ही, ‘खाली चाहने से’शांत नहीं होगा,
‘जहां  ज्ञान  घबराया , कंपित  हुआ , मन  वहीं ‘ चंचल ‘ बन  जाएगा ‘ !

[10]

‘जब  तक  ‘ सद्गुण  और  सुविचार ‘ दिल  में  नहीं  आएंगे ,
‘आप ‘प्रभु की आराधना’ कैसे कर पाओगे? ‘अधूरे रह जाओगे’ !

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