“आपस में उँगलियाँ उठा कर “, “प्याज़ के छिलके उतारे जा रहे हैं ” ,
“अगर इल्ज़ाम लगे खुद पर ‘, ‘सभी कहते हैं – फंसाया जा रहा है’ ,
“किसी भी भ्रष्ट व्यवहार पर ” ,”देश के कानून की पकड़ ढीली है ‘ ,
“देश में जीवन के हर स्तर पर गिरावट “, “पूरी तरह समा गयी है “,
“देश के कर्णधारों ‘ ! ” खाली सख्त कानून बनाने से क्या भला होगा “,
“कानून को बेरहमी से लागू करो “, “ताकि गलत करने वाले काँप उठें ” ,
“पापियों की सात पीढ़ियों तक “, “भयानक डर का अहसास जाग उठे” ,
“बुरे काम का बुरा फल होता है ? ,’ बुरा सोचते ही मिल जाएगा ” |