Positive attitude*
एक घर के पास काफी दिन से एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था ।
वहां रोज मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चे एक दूसरे की शर्ट पकड कर रेल-रेल का खेल खेलते थे ।
रोज कोई बच्चा इंजिन बनता और बाकी बच्चे डिब्बे बनते थे…
इंजिन और डिब्बे वाले बच्चे रोज बदल जाते ,
पर.. .
केवल चङ्ङी पहना एक छोटा बच्चा हाथ में रखा कपड़ा घुमाते हुए रोज गार्ड बनता था ।
*एक दिन मैंने देखा कि * …
उन बच्चों को खेलते हुए रोज़ देखने वाले एक व्यक्ति ने कौतुहल से गार्ड बनने वाले बच्चे को पास बुला कर पूछा….
” बच्चे , तुम रोज़ गार्ड बनते हो । तुम्हें कभी इंजिन , कभी डिब्बा बनने की इच्छा नहीं होती ? ”
इस पर वो बच्चा बोला…
” बाबूजी, मेरे पास पहनने के लिए कोई शर्ट नहीं है । तो मेरे पीछे वाले बच्चे मुझे कैसे पकड़ेंगे… और मेरे पीछे कौन खड़ा रहेगा….?
इसीलिए मैं रोज गार्ड बन कर ही खेल में हिस्सा लेता हूँ ।
“ये बोलते समय मुझे उसकी आँखों में पानी दिखाई दिया।
आज वो बच्चा मुझे जीवन का एक बड़ा पाठ पढ़ा गया...
*अपना जीवन कभी भी परिपूर्ण नहीं होता । उसमें कोई न कोई कमी जरुर रहेगी….*
वो बच्चा माँ-बाप से ग़ुस्सा हो कर रोते हुए बैठ सकता था । परन्तु ऐसा न करते हुए उसने ” परिस्थितियों का समाधान ” ढूंढा।
हम कितना रोते हैं ?
कभी अपने साँवले रंग के लिए , कभी छोटे क़द के लिए , कभी पड़ौसी की बडी कार , कभी पड़ोसन के गले का हार , कभी अपने कम मार्क्स , कभी अंग्रेज़ी , कभी पर्सनालिटी , कभी नौकरी की मार तो कभी धन्धे में मार… हमें इससे बाहर आना पड़ता है....
* ये जीवन है… इसे ऐसे ही जीना पड़ता है ।*
* चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती,*
* वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है ,*
* मगर इंसान , इंसान की ऊँची उड़ान देख कर बहुत जल्दी चिंता में आ जाते हैं ।*
* तुलना से बचें और खुश रहें *।
* ना किसी से ईर्ष्या , ना किसी से कोई होड़ ..!!!*
* मेरी अपनी हैं मंजिलें , मेरी अपनी दौड़..!!!*
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?स्नेह वंदन
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*”परिस्थितियां कभी समस्या नहीं बनती,*
*समस्या इस लिए बनती है, क्योंकि हमें उन परिस्थितियों से लड़ना नहीं आता।”*