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“संस्कार”, समझिए , चिंतन की बात है !

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?“संस्कार “?

एक पार्क मे दो बुजुर्ग बैठे बातें कर रहे थे।

पहला-मेरी एक पोती है शादी के लायक है BE किया है ,job करती है ,कद -5″2 इंच है, सुंदर है ,कोई लडका नजर मे हो तो बताइएगा..

दूसरा -आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिये।

पहला-कुछ खास नही, लडका ME /M.TECH किया हो ,अपना घर हो ,कार हो ,घर मे
एसी हो ,अपने बाग बगीचा हो
अच्छा job ,अच्छी सैलरी, कोई लाख रू.तक हो।

दूसरा-और कुछ….

पहला-हाँ सबसे जरूरी बात अकेला होना चाहिए। मां बाप, भाई बहन ,नही होने चाहिए।
वो क्या है, लडाई झगड़े होते है।

दूसरे की आँखें भर आई फिर आँसू पोछते हुए बोलामेरे एक दोस्त का पोता है उसके भाई बहन नही है ,मां बाप एक accident मे चल बसे ,अच्छी job है डेढ़ लाख सैलरी है ,गाड़ी है बंगला है ,मगर उसकी भी यही शर्त है लडकी वालों के भी मां बाप ,भाई बहन या कोई रिश्तेदार ना हो ,कहते कहते गला भर आया।
फिर बोले-अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत सुखी रहेगी।

पहला-ये क्या बकवास है ,हमारा परिवार क्यों आत्महत्या करे। कल को उसकी खुशियों मे दु:ख मे कौन उसके साथ उसके पास होगा।

दूसरा -वाह मेरे दोस्त, खुद का परिवार, परिवार और दूसरे का कुछ नही। मेरे दोस्त अपने बच्चो को परिवार का महत्व समझाओ, घरके बडे ,घरके छोटे सभी अपनो के लिए जरूरी होते है वरना इंसान खुशियों का और गम का महत्व ही भूल जाएगा, जिंदगी नीरस बन जाएगी

पहला वाले बुजुर्ग बेहद शर्मिंदा थे , दोस्तों परिवार है तो जीवन मे हर खुशी, खुशी लगती है। अगर परिवार नही तो किससे अपनी खुशियाँ और गम बांटोगे .
?I love my family?

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