ऊं गंग गणपतये नमः , ऊं गंग गणपतये नमः , ऊं गंग गणपतये नमः ,
ऊं गंग गणपतये नमः , ऊं गंग गणपतये नमः ।
संत किसे कहते हैं ??
धोबी के पास कितने कपड़े आते हैं मैकेनिक के , हलवाई के हास्पिटल के और भी ना जाने किनके किनके आते हैं , लेकिन वो किसी से उनकी जात नही पूछता क्योंकि उसका काम सिर्फ कपड़े की मैल निकाल कर कपडे को साफ़ करना है ।
कितना भी मैला कपड़ा क्यों ना हो वो उसे लेने से कभी इंकार नही करता क्योकि वो जानता है कि मैल कोई और चीज है और इसके अंदर की सफेदी और चीज है । वो जानता है कि जितना भी मैला कपड़ा हो उसमे मेहनत कर उसकी सफेदी आ जायेगी ।
ठीक उसी प्रकार “संत महात्मा बड़े दयालु होते हैं ” “उनकी शरण में कोई कितना भी बड़ा पापी या अपराधी , कितना भी ज्ञानी और अज्ञानी चला जाये चाहे किसी कौम या किसी भी मज़हब का क्यों ना हो संत उनसे उनकी जात – पात नही पूछते है और सबका मन साफ करने की ही कोशिश करते हैं ” |
