[1]
“परमात्मा ने हमें क्या कुछ दिया है ” , “अहसास ही नहीं उसका ” ,
‘ कमजोरी और गरीबी ‘ तो ‘ मेरे और तेरे ‘ द्वारा ईज़ाद वस्तु है ” |
[2]
]”जहां अपनापन हो” “वही दुनियाँ सबसे खूबसूरत समझो” ,
“अपने अन्तर्मन को स्वच्छ करो” ,”खूबसूरती का पर्याय बनो” |
[3]
“आप दुनियाँ की फालतू चीजें पकड़ कर ” “इतरा रहो हो जनाब” ,
” सत्संग की विधा में ढल जा ज़रा “,” दुनियाँ बदल जाएगी तेरी “|
[4]
‘जब भगवान ‘मानव की प्रार्थना’ ‘पुण्य’ ‘दान’ ‘प्रेम’ सब सुनता है ‘,
‘तो उसकी ‘निंदा’ ‘पाप’ ‘नफरत’ ‘चोरी की आदत’ ‘नहीं देखता होगा’ ,
“तू कुछ भी करता जा ‘ भगवान की निगाहों से बच नहीं सकता ‘,
‘जैसे कर्म होंगे ,”तदनुसार उसका प्रतिफल भुगताने को तैयार रहो | ‘ |
[5]
भगवान प्रेम ;-
“कितने भी बच कर निकलो मुझसे “,” निगाहें ढूंढ ही लेंगी तुझे “,
“तुम ही तो दिल में घुसे थे ‘, ‘अब बाहर निकल कर भी तू ही दिखा ‘|
[6]
” कहाँ लिखा है ” ” कुछ तोड़ने के लिए पत्थर मारना जरूरी है ” ?
“बदजुबानी से लोगों को नवाजते रहो”,”सबकुछ लहूलुहान हो जाएगा” |