Home कविताएं “श्र्द्धा के कुछ फूल भगवान को समर्पित “

“श्र्द्धा के कुछ फूल भगवान को समर्पित “

0 second read
0
0
991

[1]

“परमात्मा  ने  हमें  क्या  कुछ  दिया  है ” , “अहसास  ही  नहीं  उसका ” ,
‘  कमजोरी  और  गरीबी  ‘ तो  ‘ मेरे  और   तेरे ‘ द्वारा  ईज़ाद  वस्तु   है ” |

[2]

]”जहां  अपनापन  हो” “वही  दुनियाँ  सबसे  खूबसूरत  समझो” ,
“अपने अन्तर्मन को स्वच्छ करो” ,”खूबसूरती का  पर्याय बनो” |

[3]

“आप दुनियाँ की फालतू चीजें पकड़ कर ” “इतरा रहो हो जनाब” ,
” सत्संग की विधा में ढल जा ज़रा “,” दुनियाँ बदल जाएगी तेरी “|

[4]

‘जब  भगवान ‘मानव  की  प्रार्थना’ ‘पुण्य’ ‘दान’ ‘प्रेम’ सब  सुनता  है ‘,
‘तो  उसकी ‘निंदा’ ‘पाप’ ‘नफरत’ ‘चोरी की आदत’ ‘नहीं देखता होगा’ ,
“तू  कुछ  भी  करता  जा ‘ भगवान  की  निगाहों  से बच  नहीं सकता ‘,
‘जैसे कर्म होंगे ,”तदनुसार उसका प्रतिफल  भुगताने  को  तैयार रहो | ‘ |

[5]

भगवान प्रेम ;-
“कितने  भी  बच  कर  निकलो  मुझसे “,” निगाहें  ढूंढ   ही  लेंगी  तुझे “,
“तुम ही तो दिल में घुसे थे ‘, ‘अब बाहर  निकल  कर  भी  तू  ही  दिखा ‘|

[6]

” कहाँ  लिखा  है ” ” कुछ  तोड़ने  के  लिए  पत्थर  मारना  जरूरी  है ” ?
“बदजुबानी से लोगों को नवाजते रहो”,”सबकुछ लहूलुहान हो जाएगा” |

Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…