Home ज्ञान ‘श्री हनुमान जी हमारे ऊर्जा से श्रेष्ठ श्रोत हैं ! एक प्रेरणादायक प्रसंग !

‘श्री हनुमान जी हमारे ऊर्जा से श्रेष्ठ श्रोत हैं ! एक प्रेरणादायक प्रसंग !

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जय  हनुमान  ज्ञान  गुन  सागर ।

बात  तब  की  है  जब  भगवान  श्रीराम  का  राज्याभिषेक  हो  गया  था ।  तब  चारों  दिशाओं  के  ऋषि  श्रीराम  का  अभिनन्दन                                              करने  अयोध्या  आए ।

उस  अवसर  पर  प्रश्न  उठा  क्या  रावण  सबसे  शक्तिशाली  था  ?

तो  महर्षि  अगस्त्य  ने  कहा  नहीं ,  और  रावण  के  सहस्रबाहु  अर्जुन  और  वानरराज  बाली  से  करारी  हार  की  कहानी  सुनाई ।

फिर  महर्षि  अगस्त्य  जी  ने  कहा  इन  सबमें  सबसे  शक्तिशाली  था  इंद्रजीत ,  और  इंद्रजीत  की  कथा  सुनाई ।

रावण , मेघनाद , बाली  आदि  दुष्टों  की  कथाएं  सुन  सुन कर  श्रीराम  को  कोफ्त  सी  उठी ।

और  जब  अगस्त्य  जी  ने  कहा  कि  अत्यधिक  बलशाली  बाली  को  भी  आपने  दग्ध  कर  डाला ,  तो  श्रीराम  भावुक  से  हो  गए ,                                      और   अपने  परमप्रिय  हनुमान जी  का  अतुलित  शौर्य  याद  करके  रोमांचित  हो  उठे ।

श्रीराम  को  हनुमान जी  की  जगह  अन्य  लोगों  के  शौर्य  का  यशोगान  सुन  एक  टीस  सी  उठी ।

करुणानिधान  भगवान  रघुवर  अगस्त्य  जी  से  बोले ,

“महर्षे!  निस्संदेह, बाली  और  रावण  का  बल  अतुलनीय  था ,  पर  मेरा  ऐसा  मानना  है  कि  इन  दोनों  का  बल  भी  हनुमान जी  के                                  बल  की  बराबरी  नहीं  कर  सकता ।  शूरता, दक्षता , बल , धैर्य , बुद्धिमत्ता , नीति , पराक्रम  और  प्रभाव ,  इन  सद्गुणों  ने  हनुमान  जी                              के  भीतर  घर  कर  रखा  है ।”

“समुद्र  को  देखते  ही  वानर सेना  घबरा  उठी  थी ,  पर  ये  महाबाहु  हनुमानजी  सेना  को   धैर्य  बंधा कर  एक  ही  छलांग  में  सौ  योजन                            समुद्र  लांघ  गए  थे ।  फिर  लंकिनी  को  परास्त  कर  ये  रावण  के  अन्तःपुर  में  घुस  गये ।  अशोक  वाटिका  में  जानकी जी  से  मिले                                  और  उन्हें  भी  धैर्य  बंधाया ।  वहाँ  अशोक  वन  में  इन्होंने  अकेले  ही  रावण  के  सेनापतियों , मन्त्रिकुमारों , किंकरों  और  रावण पुत्र                              अक्षकुमार  मार  गिराया ।”

“फिर  ये  हनुमान जी  मेघनाद  के  नागपाश  से  बंधकर  स्वयं  ही  मुक्त  हो  गए  थे ।  फिर  रावण  से  भी  इन्होंने  वार्तालाप  किया ,  पर                               जैसे  प्रलयकाल  की  आग  ने  यह  सारी  पृथ्वी  जलाई  थी ,  वैसे  ही  इन्होंने  लंकापुरी  जला कर  भस्म  कर  दिया  था ।”

“युद्ध  में  इन  श्री हनुमान जी  के  जो  पराक्रम  देखे  गए  हैं ,  ऐसे  वीरतापूर्ण  कर्म  न  तो  काल  ने  किए ,  न  इन्द्र  ने ,  न  वरुण  ने ,  यहाँ                            तक  कि  भगवान  विष्णु  के  भी  नहीं  सुने  जाते ।”

“हे  मुनिराज !  सच  कहूँ ,  तो  मैंने  तो  इन्हीं  श्री हनुमान  जी  के  बाहुबल  से  ही  विभीषण  के  लिए  लंका ,  शत्रुओं  पर  विजय ,  अयोध्या                           का  राज्य ,  सीता जी , लक्ष्मण  व  मित्रों  बन्धुओं  को  प्राप्त  किया  है ।

यदि  मुझे  वानरराज  सुग्रीव  के  सखा  ये  श्री  हनुमान  जी   न  मिलते   तो   सीता जी   का   पता  लगाने   में  कौन  समर्थ  हो  सकता  था???

हे  भगवन  !  मुझे  तो  आप  इन  परम प्रतापी  श्री हनुमान जी  की  कथा  ही  विस्तार  से  सुनाइये…”

श्री रामचन्द्र जी  के  ये  प्रेम भरे  वचन  सुन कर ,  हनुमान जी  की  तरफ  देखते  हुए  अगस्त्यजी  बोले , “श्रीराम ! आपकी  सब  बातें  सच  हैं ।                       बल , पराक्रम , बुद्धि  और  गति  में  इनकी  तुलना  कौन  कर  सकता  है ?”

अगस्त्यजी  से  पूरी  हनुमान जी  को  जीवन कथा  सुनने  के  बाद  श्री राम जी  बड़े  प्रसन्न  और  विस्मित  हुए ।

– श्री मद्वाल्मीकीय  रामायण , उत्तरकाण्ड ,  35वाँ  सर्ग

भगवान  का  इतना  प्रेम  पाने  वाले  भक्तराज  एकमात्र  प्रभु  हनुमान जी  ही  हुए  हैं ।  जहाँ  भक्त  भगवान  की  कथा  सुनने  को  नहीं  बल्कि                        भगवान  खुद  ही  भक्त  की  कथा  सुनने  को  लालायित  हैं ।

जैसे  श्रीकृष्ण  ने  सुदामा  को  तीनों  लोक  अर्पित  कर  दिए  थे ,  भगवान  श्रीराम  ने  तो  अपनी  प्रभुता  ही  हनुमान जी  को  समर्पित  कर दी                       और  अपने  समस्त  कार्यों  का  श्रेय  एकमात्र  उन पर  डाल  दिया ।  श्रीराम  ने  हनुमान जी  को  अपने  हृदय  में  स्थान  दिया ,  और   स्वयं                        हनुमानजी  के  हृदय  में  विराजित  हो  गए ।

भगवान  के  काज  करने  को  आतुर ,  ऐसे  श्री हनुमान जी  हमें  भी  रामकाज  में  लगाएं ।  बजरंगबली  हनुमान जी  ऊर्जा  के  परम  स्रोत  हैं ।

पवनतनय  संकट  हरण  मंगलमूर्ति  रूप ।
राम लखन सीता  सहित  हृदय  बसहु  सुर  भूप।।

काम  क्रोध  मद  लोभ  सब  नाथ  नरक  के  पंथ ।                                                                                                                                                                सब  परिहर  भजो  भजय  जेही  संत ==

जय श्री राम।।

 

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