दुनिया का इकलौता विश्वनाथ मंदिर जहां शक्ति के साथ विराजमान हैं शिव….
शिव सत्य है, शिव अनंत है ,
शिव अनादि है , शिव भगवंत है ,
शिव ओंकार है , शिव ब्रह्म है ,
शिव शक्ति है , शिव भक्ति है ,
आओ भगवान शिव का नमन करें,
उनका आशीर्वाद हम सब पर बना रहे ।
वाराणसी. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ के दरबार में शिवरात्रि पर आस्था का जन सैलाब उमड़ता है । यहां वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ शक्ति की देवी मां भगवती के साथ विराजते हैं । यह अद्भुत है । ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है ।
काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 11 फैक्ट्स :-
1. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है । दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं । दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप ( सुंदर ) रूप में विराजमान हैं । इसीलिए काशी को मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है ।
2. देवी भगवती के दाहिनी ओर विराजमान होने से मुक्ति का मार्ग केवल काशी में ही खुलता है । यहां मनुष्य को मुक्ति मिलती है और दोबारा गर्भधारण नहीं करना होता है । भगवान शिव खुद यहां तारक मंत्र देकर लोगों को तारते हैं । अकाल मृत्यु से मरा मनुष्य बिना शिव अराधना के मुक्ति नहीं पा सकता ।
3. श्रृंगार के समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं । इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं , जो अद्भुत है । ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है ।
4. विश्वनाथ दरबार में गर्भ गृह का शिखर है । इसमें ऊपर की ओर गुंबद श्री यंत्र से मंडित है । तांत्रिक सिद्धि के लिए ये उपयुक्त स्थान है । इसे श्री यंत्र-तंत्र साधना के लिए प्रमुख माना जाता है ।
5. बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार इस प्रकार हैं :- 1. शांति द्वार । 2. कला द्वार । 3. प्रतिष्ठा द्वार । 4. निवृत्ति द्वार । इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग ही स्थान है । पूरी दुनिया में ऐसा कोई जगह नहीं है जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और तंत्र द्वार भी हो ।
6. बाबा का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण में मौजूद है । इस कोण का मतलब होता है , संपूर्ण विद्या और हर कला से परिपूर्ण दरबार । तंत्र की 10 महा विद्याओं का अद्भुत दरबार , जहां भगवान शंकर का नाम ही ईशान है ।
7. मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण मुख पर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की ओर है । इससे मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करता है । इसीलिए सबसे पहले बाबा के अघोर रूप का दर्शन होता है । यहां से प्रवेश करते ही पूर्व कृत पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं ।
8. भौगोलिक दृष्टि से बाबा को त्रिकंटक विराजते यानि त्रिशूल पर विराजमान माना जाता है । मैदागिन क्षेत्र जहां कभी मंदाकिनी नदी और गौदोलिया क्षेत्र जहां गोदावरी नदी बहती थी । इन दोनों के बीच में ज्ञानवापी में बाबा स्वयं विराजते हैं । मैदागिन- गौदौलिया के बीच में ज्ञानवापी से नीचे है , जो त्रिशूल की तरह ग्राफ पर बनता है । इसीलिए कहा जाता है कि काशी में कभी प्रलय नहीं आ सकता ।
9. बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में विराजमान है । वह दिन भर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं । रात्रि नौ बजे जब बाबा का श्रृंगार आरती किया जाता है तो वह राज वेश में होते हैं । इसीलिए शिव को राजराजेश्वर भी कहते हैं ।
10. बाबा विश्वनाथ और मां भगवती काशी में प्रतिज्ञाबद्ध हैं । मां भगवती अन्नपूर्णा के रूप में हर काशी में रहने वालों को पेट भरती हैं । वहीं, बाबा मृत्यु के पश्चात तारक मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं । बाबा को इसीलिए ताड़केश्वर भी कहते हैं ।
11. बाबा विश्वनाथ के अघोर दर्शन मात्र से ही जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं । शिवरात्रि में बाबा विश्वनाथ औघड़ रूप में भी विचरण करते हैं । उनके बारात में भूत , प्रेत , जानवर , देवता , पशु और पक्षी सभी शामिल होते हैं ।
—- ॐ नमः शिवाय 🙏🏻