पहाड़ों में बनी सुरंग तो आपने देखी होगी या उसके विषय में सुना होगा परंतु आपको जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि समुद्र की गहराई में भी सुरंग होती है |
पहाड़ों को काट कर सुरंग बनाना कोई आसान काम नहीं है किन्तु समुद्र की तलहटी के नीचे सुरंग खोदना अत्यंत कठिन काम है | इसके लिए वर्षों की कड़ी मेहनत , उच्च तकनीक तथा पक्के इरादों का होना आवश्यक होता है |
“ जापान ” में एक ऐसी समुद्री सुरंग है जिसका नाम ” सीकल टनल ” है | यह विश्व की सबसे लंबी समुद्री सुरंग है | ‘ जापान’ चार मुख्य द्वीपों एवं कुछ छोटे द्वीपी में बंटा हुआ है | यह सुरंग इनमें से 2 द्वीपों “हाँशु और होकीड़ों ” को जल के नीचे बने रास्ते द्वारा एक दूसरे को जोड़ता है | इस सुरंग की विशेष बातें इस प्रकार हैं :-
{1} यह टनल सुगारु जलडमरू मध्य की तलहटी से 100 मीटर नीचे बनी हुई है अर्थात समुद्रजल सतह से 240 मीटर नीचे इसका निर्माण किया गया है |
{2} इस टनल की लंबाई 53.9 किलोमीटर है | सुगारू जलडमरू मध्य में
जल का बहाव काफी होता है | चक्रवर्ती तूफानों में मौसम में यहाँ से हो कर गुजरने वाली नेकाओं को कई बार अपनी यात्राएं रद्द करनी पड़ती थी तथा कई दुर्घटनाओं का शिकार भी हो जाया करती थी जिससे जान-माल का काफी नुकसान होता था | अतः यात्रियों की सुरक्षित आवागमन के लिए जल के नीचे सुरंग बनाने का निर्णय लिया गया |
{3} 1946 में इस जगह का भोगोलिक सर्वेक्छण किया गया तथा लगभग 21 वर्षों तक खुदाई की गयी |
{4} इसके निर्माण में करीब 14 वर्षों तक निर्माण कार्य चलता रहा |
{5} अंततः 18 मार्च 1985 को सुरंग के मध्य की अन्तिम रुकावट दूर हटा कर दोनों द्वीपों को जोड़ दिया गया |
{6| इस विशाल सुरंग के लिए 3 और सुरंगे बनाई गयी | मुख्य सुरंग के अलावा एक पथ -प्रदर्शी सुरंग तथा एक परिचालन सुरंग भी खोदी गयी | इस प्रकार कुल मिला कर लगभग 200 किलोमीटर लंबी समुद्री सुरंग का निर्माण किया गया जो बहुत ही कठिन कार्य था |
{7} इसके लिए हर 50 मीटर की दूरी के बाद यह जांचा जाता था की कहीं सुरंग का हिस्सा दूसरे की लंबाई से मिलने की अपेक्षा कहीं भटक तो नहीं गया है |
{8} पथ -प्रदर्शन करनेवाली सुरंग का उपयोग जमीन की जांच तथा मलवा , पानी आदि हटाने के लिए किया गया है | परिचालन सुरंग में विभिन्न प्रकार के यंत्र , समान और मजदूरों का आवागमन रक्खा गया है |
{9} यह सुरंग 11.5 मीटर चौड़ी और 9 मीटर ऊंची है जिसमें लगभग एक करोड़ तेतीस हज़ार क्यूसिक मीटर मिट्टी व चट्टानों का मलवा बाहर निकाला गया तथा 8 लाख 47 हज़ार टन सीमेंट के साथ 1 लाख 68 हज़ार टन स्टील का प्रयोग किया गया |
{10} इसका निर्माण इस प्रकार की मशीनों से किया गया जो प्रथ्वी को समतल रूप से काटती हैं | मुख्य सुरंग को व अन्य दोनों सुरंगों के मध्य अकाष्मिक जरूरतों के लिए रास्ते बना कर आपस में जोड़ा गया है |
{11} आधुनिक इलेक्ट्रोनिक उपकरणों , लेसर बीम , कंप्यूटर , विष्फोटकों , मलबे को हटाती मशीनों व गाड़ियों का आवागमन ने इस सुरंग को समुद्र के भीतर चल रही फैक्ट्री का स्वरूप प्रदान कर दिया है |
इस प्रकार ” जापान ” विश्व में अपनी प्रकार की अनूठी समुद्री सुरंग बनाने में सफल हो गया | यह समुद्र के नीचे विश्व की सबसे लम्बी सुरंग है |
—————-जय भारत ———जय हमारा भारत ——————