
अब्राहम लिंकन कि गिनती अमेरिका के प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं में होती था | अदालत में उनकी प्रतिष्ठा बहुत ऊंची थी | उनके दफ्तर में ग्राहकों का तांता लगा रहता था | वह सभी को पूर्ण संतुष्ट करके ही भेजते थे |
एक बार दो भाइयों में ज़मीन-जायदाद के बँटवारे को लेकर झगड़ा हो गया | पडौस के लोगों ने खूब समझाया किन्तु वे एक-दूसरे कि बात मानने को तैयार नहीं थे | दोनों ने कोर्ट में जाने का निर्णय लिया | उनमें से एक , ऍडवोकेट अब्राहम लिंकन के पास आया और उनसे अपने पक्ष में मुकदमा लड़ने का आग्रह किया | पूरी बातें सुनने के बाद लिंकन ने कहा, “कोर्ट-कचहरी में कुछ नहीं रक्खा , दोनों भाइयों कि भलाई इसी में है कि आपस में सुलह-समझोता कर लो “| किन्तु वह अपनी बात पर अड़ा रहा | लिंकन ने उससे कहा,”कुछ देर शांत होकर सोचो” | और लिंकन कुछ देर के लिए अपने चंबर से बाहर आ गए | लिंकन ने देखा कि दूसरा भाई बाहर घूम रहा है | लिंकन ने उससे भी समझोता करके समस्या निबटाने कि सलाह दी | लेकिन उसे भी यह विमर्श अच्छा नहीं लगा फिर भी लिंकन ने धैर्य नहीं छोड़ा | उन्होने दोनों भाइयों को समझा कर अपने चंबर में बैठा दिया और खुद बाहर निकल कर दरवाजा बंद कर दिया |
दो घंटे बाद दोनों भाई दरवाजा खटखटाने लगे | लिंकन ने द्वार खोला तो दोनों बाहों में बाहें डालकर मुस्करा रहे थे | दोनों एक स्वर में बोले ,” शुक्रिया जनाब , हमने समझोता कर लिया है और अब हम मुकदमा नहीं लड़ेंगे |” यह सुनकर लिंकन को बहुत प्रसन्नता हुई |
लिंकन लालची वकीलों में से नहीं थे | विवेकपूर्ण सलाह देकर ही मुकदमों का निबटारा करवाने में विश्वास रखते थे |
जनाब , तभी तो “ वह अमेरिका के सम्मानित अधिवक्ता व जनप्रिय राष्ट्रपति बने “ |
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