{ 1 }
सर्वोत्तम जीवन की विधा , दुनियाँ की दे कर गए थे राम ,
रावण की विद्वता का लोहा , आज भी दुनियाँ मानती है ,
वास्तव में रामायण तो आज भी संसार का सर्वोत्तम ग्रंथ है ,
अरे प्राणी ! आज की ज़हरी हवा से बच , कुछ तो समझ |
{ 2 }
“राम के चरित्र को अपने चरित्र में कुछ तो ढालो ” ,
“पुतले फूँक कर खुश हो रहे हो “, “यह उत्तम नहीं ” ,
“बुराइयों के अंत हेतु रावण “, “खुद राम के हाथों मरा” ,
“दुनियाँ में रावण जैसे विद्वान “,”अब मिलते नहीं कहीं ” |
{ 3 }
“आज घर – घर में रोज़ नए रावण” “पैदा होते जा रहे हैं ” ,
“कलियुग की ज़हरीली हवा “, ” दिन-रात सबको खाये जाती है “,
“आज दिलों के अहसास बदल गए “, “जीने के अंदाज़ बदल गए “,
“इंसानियत की भाषा ढूंढते ही रहो ” ,” अब मिलती नहीं कहीं ” |