[1]
जरा सोचो
‘आप ‘विजय’ तो हो परंतु ,’आत्म विजयी’ होना ‘सौभाग्य’ की बात है,
‘ मुकुट ‘ वही ‘ पहनता ‘ है जो ‘कर्म क्षेत्र’ में ‘ झंडे ‘ गाड़ देता है’ !
[2]
जरा सोचो
‘कृतज्ञ’ बनो, किसी से मिली सहायता के ‘ऋणी’ रहो,
‘ झुक कर किया सम्मान ,’ उत्तम परिणाम लाएगा ‘ !
[3]
जरा सोचो
‘जितने ‘युद्ध’ हुए आधे ‘कुवचनों’ के कारण हुए, ‘ इतिहास ‘ साक्षी है,
‘आवेश और लालच’ के वशीभूत प्राणी ‘कुवचनी’ हुए बिना नहीं रहता’ !
[4]
जरा सोचो
‘आपका ‘पशुत्व’ ‘ घोरतम पाप’ करा सकता है आपसे,
‘नर-तन’ मिला है ‘नरपिशाच’ बनने की कोशिश ना कर’ !
[5]
जरा सोचो
‘कुछ किए बिना’ ‘गलती’ नहीं होती , ‘ गुरु का मंत्र है ,
‘गलतियां’ करोगे तो ‘झिडके’ जाओगे,” तभी समझ पाओगे’ !
[6]
‘ जिस काम’ को करने से ‘डरते’ हो ,’उसी को ‘दृढ़ता’ से करो,
‘गरीब’ होना कोई ‘लज्जा’ नहीं ,’गरीबी से लज्जित’ होना गलत,
‘लज्जा’ के अनेकों प्रकार हैं, ‘प्रतिभा’ को ‘छुपाया’ नहीं करते’ !
‘कोरोना संक्रमण’ रोज ‘नए डंक’ मारता है हम कुछ नहीं कर पाते ,
‘फिजाओं में ‘लाली की भरमार है ,’ प्रभु जाने क्या होगा आगे’ ?
‘सद्गुणों की स्मृतियां ‘ गर्त नहीं होती, ना ‘धूमिल’ होती है ,
‘उनकी ‘सुगंध’ युगो तक याद रखते हैं ,’कभी भूली नहीं जाती’ !