यह प्रतिमा भारत के लोह पुरुष कहे जाने वाले ” सरदार पटेल ” की है | इस प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर है | इसकी वजह
यह है की गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं और इन सबकी नुमाइन्दगी इस प्रतिमा में दिखने की कोशिश की गयी है |
31 अक्टूबर को सरदार पटेल का जन्मदिन भी है |
इस प्रतिमा को 2,989 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है | 4076 मजदूरों ने 2 शिफ्टों में काम किया | इसमें 800 स्थानीय और 200 चीन से आए कारीगरों ने काम किया | प्रतिमा परिसर में एक ” प्रदर्शनी मंज़िल ” ,” एक ममोरियल गार्डन ” और ” एक बड़ा संग्रहालय ” है | संग्रहालय में सरदार पटेल की जिंदगी से जुड़ी कई चीजों को सहेजा गया है | इसमें
उनके करसमद में जन्म से ले कर लोह पुरुष बनाने तक की यात्रा , व्यक्तिगत जिंदगी और गुजरात से जुड़ाव को देखा जा सकता है |
यह प्रतिमा ” स्टेचू ऑफ लिबर्टी ” की ऊंचाई से दोगुनी और पियो डी जनेरों ” क्राइस्ट द रीडिमर ” से चार गुनी होगी |
प्रोजेक्ट की घोषणा 2010 में की गयी थी , जब श्री मोदी जी मुख्यमंत्री हुआ करते थे | अक्टूबर 2013 में तब मुख्यमंत्री
रहे श्री मोदी ने इसकी आधारशिला रक्खी थी और इंजीनीयरिंग कम्पनी एल एण्ड टी को इसका कांट्रेक्ट दिया गया था |
इसके बाद से ही इसका निर्माण कर दिया गया था |
निर्माण में 25000 टन लोहे और 90000 टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया था | मूर्ति से पटेल की वह सादगी भी झलकती है , जिसमें सिलवटों वाला धोती – कुर्ता , बड़ी और कंधे पर चादर उनकी पाहचान थी | ये सब मूर्ति में ढल चुका है | श्री मोदी जी ने देश के कोने – कोने से लोहा मांगा था , ताकि वह लोह पटेल के सपनों को फौलादी बना दे |