[1]
‘ जब विचार मिलेंगे तभी प्यार जागेगा ,
‘हर रंग बेरंग हो जाएगा इसके बिना ” {
[2]
‘ जो सदा ‘खुद’ का पेट भरने में लगा है , ‘भूखा’ ही रहता है ,
‘ जो दूसरों को खिलाने की फिक्र करता है,कभी ‘भूखा’ नहीं सोता |
[3]
‘ लेने वाला’ हमेशा घाटे में रहता है , ‘देने वाला’ रहता है ‘आनंद’ में ,
‘ध्यान रहे- ‘कामयाबी’ के रास्ते ‘दूसरे की कामयाबी’ से हो कर गुजरते हैं |
[4]
‘चाहने वालों ‘ की ‘ लाइन ‘ लंबी है ,’ दिल ‘ ‘ दूँ ‘ तो किसको दूँ ?
‘खता’ हमारी निकलते हैं सब , खुद ‘दिल’ काबू में नहीं रखते |
[5]
‘ न किसी के लिए ‘दुआ’ करते हो , न कभी ‘ मुस्कराते ‘ हो ,
‘बद-दुआओं ‘ का ‘पिटारा’ बांध रक्खा है ,’कल्याण’ हो तो कैसे हो |
[6]
‘जीवन’ के ‘कडुवे घूंट’ ‘ पी ‘ कर भी ‘ मयखाने ‘ में चल दिया ,
शायद ‘शहद’ चखने का ‘मौका’ नहीं मिला ,’हड्बड़ा’ गयी है जिंदगी |
[7]
‘ खवाबों ‘ में ही सही , आते तो हैं ,
वरना ‘हसरतें’ ‘मन’ मसोस कर रह जाती |
[8]
‘कोई किसी के लिए नहीं ‘ मरता ‘,’ गपोड्संखी ‘ है सभी ,
जो ‘मरा’-अपने ‘बोझ’ के नीचे ‘मरा’ ,ये ही ‘हकीकत’ है |
[9]
जरा सोचो
जो ‘मिला’ है उसकी ‘कदर’ नहीं, और की ‘चाहत’ कम नहीं होती,
‘प्यार’ का मौसम खत्म, जीवन ‘गडमगढ़’ ही जी पाओगे !
[10]
जरा सोचो
जीवन को ‘हरा’ बनाए रख, एक दिन ‘सूखे पत्ते’ की भांति ‘बिखर’ जाएगा,
बस इतना ‘ ध्यान ‘ रखना है , ‘हर पल’ ‘मदमस्त’ होकर ही बीते !