[1]
जरा सोचो
‘झूठ’ तो सिर्फ ‘झूठ’ रहता है, ‘यकीन’ भी जल्दी हो जाता है,
हकीकत में ‘सच’ को ‘सच’ साबित करने में, ‘पसीने’ छूट जाते हैं !
[2]
जरा सोचो
‘मैं’ सामान्य प्राणी हूं, ‘नाराज’ होना मेरी ‘फितरत’ नहीं,
‘गरजने’ वालों को ‘खुद’ पर भरोसा नहीं, ‘गरूर ही गरूर’ है !
[3]
जरा सोचो
दिन-रात ‘कड़वे घूंट’ पीते हैं, ‘शांति’ का नामोनिशान नहीं,
‘अमीर’ बनना उद्देश्य नहीं, ‘खुशमिजाज’ रहने की तमन्ना है !
[4]
जरा सोचो
‘ वाद- विवाद ‘- ‘ अनुभवी प्रतिभाऔं ‘ का ‘ प्रवाह ‘ रोक देते हैं ,
‘सकारात्मक कार्यों पर ध्यान, मानसिक शांति, और ‘नई राहें- ‘अंतर्ध्यान’ !
[5]
जरा सोचो
हमारी ‘सोच की दिशा’ सही है, तो ‘परिणाम’ की चिंता किसलिए,?
‘मस्तिष्क की उठापटक’ ही अक्सर मन में ‘जहर’ घोल देती है !
हमारी ‘सोच की दिशा’ सही है, तो ‘परिणाम’ की चिंता किसलिए,?
‘मस्तिष्क की उठापटक’ ही अक्सर मन में ‘जहर’ घोल देती है !
[6]
जरा सोचो
‘चुनौतियों’ का सामना किए बिना आसानी से ‘राह’ नहीं मिलती,
रोज की ‘ समस्याओं ‘ को समझें , चर्चा करें , हल करें, आगे बढ़ें !
‘चुनौतियों’ का सामना किए बिना आसानी से ‘राह’ नहीं मिलती,
रोज की ‘ समस्याओं ‘ को समझें , चर्चा करें , हल करें, आगे बढ़ें !
[7]
जरा सोचो
‘हम’- ‘मतलब की बात’ करते हैं, ‘सुनते’ हैं, बाकी सब कुछ ‘नदारत’,
दूसरों की ‘बात का मतलब’ समझोगे , तभी ‘ जीवन ‘ को जानोगे !
‘हम’- ‘मतलब की बात’ करते हैं, ‘सुनते’ हैं, बाकी सब कुछ ‘नदारत’,
दूसरों की ‘बात का मतलब’ समझोगे , तभी ‘ जीवन ‘ को जानोगे !
[8]
जरा सोचो
‘तनाव’ से बचना है तो ‘दौलत’ खर्च करने की ‘जरूरत’ नहीं,
‘खुश’ रहने की ‘कोशिश’ करो, सचमुच ‘जीने का मजा’ आ जाएगा !
‘तनाव’ से बचना है तो ‘दौलत’ खर्च करने की ‘जरूरत’ नहीं,
‘खुश’ रहने की ‘कोशिश’ करो, सचमुच ‘जीने का मजा’ आ जाएगा !
[9]
जरा सोचो
दूसरों की ‘ खामियों ‘ पर नहीं , ‘ खूबियों ‘ पर नजर रखें,
तुम ‘शीशे’ में उतर आओगे, दिल की ‘दुर्गंध’ निकल जाएगी !
दूसरों की ‘ खामियों ‘ पर नहीं , ‘ खूबियों ‘ पर नजर रखें,
तुम ‘शीशे’ में उतर आओगे, दिल की ‘दुर्गंध’ निकल जाएगी !
[10]
जरा सोचो
‘हम’ जो हैं उसको ‘ कम ‘ और जो ‘नहीं’ है, उसे ही ‘भाव’ देते हैं,
‘रिश्ते’- ‘प्यार का विकल्प’ जरूर है, ‘प्यार’ नहीं, आजमा कर देखिए !
‘हम’ जो हैं उसको ‘ कम ‘ और जो ‘नहीं’ है, उसे ही ‘भाव’ देते हैं,
‘रिश्ते’- ‘प्यार का विकल्प’ जरूर है, ‘प्यार’ नहीं, आजमा कर देखिए !