[1]
‘अनुशासन’ से सही दिशा में मेहनत का, नतीजा सुख कर होता है,
‘ बेतरतीब काम ‘ करने का जमाना लग गया , ‘ लक्ष को साधो ‘ !
[2]
‘मंजिल’ मिले या ना मिले, ‘भटकाव’ की स्थिति भी हो ,
‘ इंसान ‘ खुद अपना रास्ता चुनकर ही,’आगे बढ़ता है’ !
[3]
‘ आप ‘ मंजिल ‘ तो तय करते हैं , ‘ मार्गदर्शक ‘ नहीं ढूंढते ,
‘बिना योजना, ‘कल्पना के आधार’ पर आगे बढ़े तो, ‘धोखा खा जाओगे’ !
[4]
मेरी सोच
“हम सीखना चाहें तो सीनियर्स की दूरदर्शिता ,कार्यानुभव , जागरूकता , ईमानदारी ,
अनुशासन , शिष्ट व्यवहार देखकर सलीका सीख सकते हैं ‘!
[5]
‘बड़ों की ‘खूबियों व गुणों’ को परख़ कर ही, नक्शे कदम पर चलें,
‘ऐसा न हो ‘ वह लोग ‘ अयोग्य , राजनैतिक बेईमान , स्वार्थी हों ‘ !
[6]
‘किस्ती का रुख भी बदल गया, ‘किनारे भी बदल गए’ !
‘सोचते रहते हैं हम,
‘प्यार की रुसवाईयों के ख्वाब से भी,
‘ कांपता है दिल मेरा ‘ !
‘दुश्मनी की ताबीर’ सोचने में भी,’डर लगने लगा है अब’ !
‘यही कामयाब होसलों का , ‘ कामयाब इशारा है ‘ !