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राष्ट्र की एकता अखंडता आचरण संघर्ष हमारे ज्वलंत प्रश्न हैं

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‘राष्ट्र की एकता’ , ‘अखंडता’ ,’आचरण’ ,’संघर्ष’ –‘हमारे ज्वलंत प्रश्न हैं’ ,
‘आरक्छ्ण का भूत’ तो ‘कहीं आतंकवाद’ , ‘सांसें फुलाए जा रहा है’ ,
‘अपने गिरहबान में’ ‘कोई नहीं झाँकता’ ,’ दूसरे को बेनकाब करते हैं’ ,
‘सियासत’ ‘इतनी बेशर्म’ व ‘ काली लगेगी’ , ‘सोचकर भी काँपते हैं हम’ |

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