[1]
‘जब भी बाज़ार गया’ , ‘ मैं ,कभी कुछ खरीद नहीं पाया ,’
‘जवानी में पैसे की तंगी रही’ ,’अब बुढ़ापे में ख्वाहिशें खतम ‘|
[2]
‘जिसकी नीयत साफ’और ‘मकसद सही’ हो’ ‘परेशा हो नहीं सकता ,’
प्रभु को भी ऐसे बंदों की तलाश है’ ,’मेहरबान हो कर बरसता है उनपर ‘|
[3]
“प्रभु उवाच “–
‘ तूने तकलीफ उठा कर भी किसी का भला कर दिया ,तो तू मेरा है ,’
‘किसी को दुःखी करके अपनी दुआ मांगता है’,’अब क्या करूँ तेरा ‘?
[4]
‘ अहंकार ‘ सदा चाहता है हर कोई माफी मांगे उससे ,’
‘प्रेम’ माफी मांग कर खुश है ,’दोनों के फलसफे ज़ुदा-ज़ुदा ‘|
[5]
‘आदर्श माता-पिता’ ‘आदर्श गुरु’,’आदर्श पत्नी’,’आदर्श भाई’ ,
‘संस्कार भी आदर्श ‘ जिसके हों’ ,’राम’ उसी का नाम है ‘|
[6]
‘भगवान राम केआदर्शो पर चलकर ,
‘रावण नीति को खतम करते चलो ,’
‘जीवन में विसंगतियाँ बहुत हैं ,
‘अध्यात्म से दूर होते जा रहे हैं हम’|
[7]
राम नवमी के शुभ अवसार पर ” !
‘तुझमें रमा हुए प्रभु राम ही’ ‘ तेरी आत्मा का मूल है ,’
‘वो तो सारी कायनात का रचियता है ,उससे नाता जोड़ ले ,’
‘हम सांसारिक जंजीरों में जकड़े पड़े हैं,निजात नहीं मिलती ,’
तू , असीम , अज़र,शाश्वत राम ” को जीवन में जीवंत बना ‘|
[8]
‘गर राम रस जुबां पर चढ़ गया’ ,
‘तो क्या घट जाएगा तेरा ? ‘
‘प्रभु’-‘कृपा पात्र बन जाएगा’,
‘शरण मिल जाएगी उसकी ‘|
[9]
‘तू कैसा सपूत है मेरा ,मुझे याद करने की फुर्सत नहीं तुझको’,
‘तेरी आत्मा में निवास करता हूँ,’अंदर झांक तो लेता कभी ‘|
[10]
‘कभी गरूर ना आए’ ‘ऐसी कृपा करना ‘प्रभु श्री राम’ ,
‘वो कार्य जरूर करवाना मुझसे’,’जिससे दुआएं मिलती रहें ‘ |
[11]
‘कुछ लोग ‘भ्रष्टाचार”अपराध”कुकर्म’ व ‘बेशर्मी’ ‘ओढ़ कर दशहरा मनाते हैं’ ,
‘ सच्चे हिंदुस्तानी बनों ‘ ,’ इस दशहरे पर सभी बुराइयों को पूरा जला डालो ‘ ,
‘ क्या ले कर पैदा हुए ‘ और’ क्या- क्या ले कर जाओगे ‘,’ बताओ तो ज़रा ‘ ,
‘ आज सबको गले लगाओ ‘ , ‘ जीवन के हर पल को आनंद में बदल डालो ‘ |
[12]
‘राम भक्त हनुमान’ राम राम रटते , कभी नहीं थकते ,’
‘कपट , व्यभिचार ,अनिष्ट की भावना ,पास नहीं आती ,’
‘राम और हनुमान ‘ को आराध्य बना कर जप कर देखो ,’
‘क्रंदन के दिन लद जाएंगे,’कुन्दन’ बन कर उभर जाओगे ‘|
[13]
“दशहरे के अवसर पर कामना”:-
‘सभी सुखकारी बने रहें , दुःखों से कोसों दूर रहें ‘,
‘धनधान्य से भरपूर रहें , व्यभिचारों से बचे रहें ,’
‘बल, बुद्धि, तेज प्रकाश , जीवन में सदा छाया रहे ,’
हर प्राणी-सेवाभावी बने और भक्ति-भाव से पूर्ण हों ‘|
[14]
दशहरे के शुभ अवसर पर —
‘सही है हम पतंग हैं और हमारी डोर प्रभु के हाथ में है’ ,
‘कर्म करने की स्वतन्त्रता तुम्हारी है,फिर अच्छा ही करो ,
‘भ्रम के दीप बुझा कर,परमदीप को प्रज्वलित करते रहो’ ,
‘अहंकार के कारागार से निकलो ,यह जाग्रति सार्थक है ‘|
[15]
दशहरा[ विजय दशमी ] पर —
‘अंधकार से प्रकाश की ओर,’असत्य से सत्य ,’अज्ञान से ज्ञान’ की ओर चलो’ ,
‘मोह व निद्रा को त्यागो ,प्रभु से ज्ञान-ज्योति प्रदान करने की प्रार्थना करो ,’
‘मानव- एक शक्ति तो हो सकता है , महा-शक्ति नहीं , इसका चिंतन करो ,’
‘स्वम को जगाओ क्योंकि आत्म-जागरण से परमार्थ की खोज शुरू होती है’ |