[1]
‘इंसान जोड़ – घटा , गुणा – भाग करने से पीछे नहीं हटता,
‘पर प्रभु -सही समय पर सबका हिसाब बराबर ही करता है ‘|
[2]
‘यदि तुमने अपना चरित्र , सचरित्र में बदल डाला ‘,
‘तुमसे बड़ा भाग्यशाली कौन होगा , सोचो ज़रा ‘|
[3]
‘मैं सियासत हूँ ‘,घूर कर मत देखिये हुज़ूर’,
‘ठीक मौका मिलते ही काया पलट देती हूँ ‘|
[4]
‘मैं जालिम सियासत हूँ ,
‘लिहाज बिलकुल नहीं करती’,
‘जहां किनारा दिखाई देता है ,
‘घूम जाती हूँ ‘|
[5]
‘गिलहरी चाल है सियासत की,सीधापन सुहाता नहीं’,
‘ पासा पलटने में उसका कोई तोड़ नहीं है ‘|
[6]
‘शैतानी चाल का नाम सियासत है,
‘सफेदपोश रहती है ‘,
‘जहन में जहरीले नाग बसते हैं ,
‘किसी की बपौती नहीं ‘|
[7]
‘ धर्म – रोते हुए को हंसाता है , किसी को रुलाता नहीं ‘,
‘धर्म ही हमारा लोक सुखी और परलोक सुहेल करता है ‘|
[8]
‘घबराओ मत , दुनियाँ में तुझे पहचानने वाले भी मिल जाएंगे’,
‘तुम तो ‘हीरा’ हो ,’जोहरी की तलाश जारी रख ,घबराने से कुछ नहीं होगा ‘|
[9]
‘जिनके मन में ‘अपनेपन ‘ का भाव है , ‘ प्यार की दौलत लुटाते हैं ‘,
‘प्रभु,प्यार की डोर न टूटे ,हम ‘उत्तम भावना’ के प्रतिरूप बन कर जिये ‘
[10]
‘आसमां से जमीन’ पर कैसे लुढ़कते है,
‘खुल कर देख लिया है आपने,
‘समझ लो दिन तो सभी के बदलते हैं,
‘सब्र का घूंट पीने की जरूरत है’|