(भेड़,भेड़ पालक व खच्चर की कहानी )
{ राजनीति का असली उद्देश्य समझना हर प्राणी के लिए जरूरी है }
भेड़पालक भेड़ों को पालता है और लगभग बीस से पच्चीस किमी .या इससे अधिक का पैदल सफर करना रोज की बात है साथ मे उसके एक दो खच्चर भी रहते हैं जो भेड़पालक की रोजमर्रा की जरूरतों का सामान अपनी पीठ पर लादकर अपने मालिक का वफादार बनकर साथ चलता है |
भेड़ों को अपने मालिक पर पूरा गुमान रहता है कि उनका मालिक उनको चराने के लिये दिन भर उनके साथ घूमता रहता है और मालिक के गुर्र कहते ही वो कहीं भी किसी भी दिशा मे चल देती हैं बिना कुआं या खांईं देखे हालांकि उनका मालिक उनको जानबूझ कहीं गलत जगह नहीं जाने या भटकने देता है इसीलिये भेड़ें अपने मालिक का विश्वास आंख मूंदकर करती हैं !
लेकिन उन सीधी-सादी भेड़ों को ये नही मालूम होता कि उनके भटक जाने या मर जाने से मालिक का कितना बड़ा नुकसान हो सकता है |
भेड़ों को ये नही मालूम होता कि वो अपने जीवन यापन के लिये खुद ही जी तोड़ संघर्ष करती हैं व दिन भर विचरण करती हैं |
मालिक तो उन भेड़ों को मिले प्रकृति प्रदत्त बालों को काटकर अपना व अपने सगे सम्बंधियों का भरण-पोषण करने के लिये उनके पीछे या आगे चलता है जो कि उसका अपना लालच है न कि उसका रंच मात्र उद्देश्य भेड़ों की सेवा करना होता है |
और जो एक-दो खच्चर अपने मालिक के साथ उनका सामान (समस्यायें ) अपनी पीठ पर लाद कर चलते हैं उ नको गुमान रहता है कि वो मालिक के बहुत खास हैं इसलिये मालिक पूरे विश्वास से अपना सामान (समस्यायें) उनके ऊपर ही लादता है भेड़ों के ऊपर नही जबकि वो भी अपने भरण-पोषण के लिये दिन भर घास फूस चरता रहता है |
मालिक चाहे भेड़ों का हो या खच्चरों का वो तो दोनो का वफादार व हमदर्द बनकर दोनो का उपयोग करके बस अपना उल्लू सीधा करता है |
भेड़पालक = भारतीय राजनैतिक दलों के नेता
खच्चर = नेताओं के वफादार चमचे व कुछ नौकर शाह
भेड़ें = हम आम-जन-मन
{ वाह रे हमारी राजनीति और हमारे राजनीतिज्ञ , देशहित का लबादा ओढ़े क्या -क्या रंग खिलाते हो ? क्या देते हो और क्या लेते हो जन-मानस से ? आपकी नौरंगी चाल को मेरा नमन }
जय हिन्द ! जय हमारा भारत !