[1]
‘जो दिया रात भर जलता रहा ‘ ‘ तुम्हें रोशन करने के लिए ‘,
‘ लोग इतने निक्रतघ्न हैं ‘, ‘ दिल निकलते ही बुझा देते हैं ‘,
‘माता-पिता उस दीपक समान हैं’ ‘ताउम्र बच्चों की तामीर करते है’ ,
‘असहाय होते ही अनेकों कन्नी काट लेते हैं’ ,’ जीने नहीं देते उन्हें’ |
[2]
इंसान को आजमाने के लिए’ ,’ ठोकरें लगनी जरूरी हैं ‘,
‘राहों में कांटे बिछे होंगे’ तो ‘मंजिल कठिन हो जाएगी ‘,
‘दर-बदर की ठोकरें खा कर’ ‘जब सफलता कदम चूमेंगी’ ,
‘इंसान चन्दन सरीखा महकेगा’,’पलकों पर बैठा लेंगे सभी ‘ |
[3]
‘लोग लेनदेन में बेईमानी करते हैं, बे-ईमान कहते ही लड़ने को तैयार ‘,
‘ यही है भगवान की माया और यही है कलियुग का स्वरूप ‘|
[4]
‘मिट्टी की चिलम बनाओगे’,’तो सबको जलाती रहेगी हर घड़ी ‘,
‘मिट्टी -सुराही में ढल गयी’,’इंसान को शीतल बनाती जाएगी ‘|
[5]
‘मान लो’ और ‘ठान लो’ में जमीन- आसमान का अंतर है ‘,
‘हार मान ली तो हार जाओगे ,’जीत ठान ली तो जीत जाओगे ‘|
[6]
‘ बोलने से ज्यादा अगर सुनने कि आदत है तुम्हारी ‘,
‘हर समस्या का हल मिल जाएगा ,कामयाब समझो खुद को ‘|
[7]
‘कुदरत ने हंसने का गुण दिया है ‘फिर भी रो-रो के जीते हो ‘,
‘ इस जायदाद को बेहिसाब बांटोगे ‘, तो और बढ़ती जाएगी ‘|
[8]
‘गलत को गलत कहने की हिम्मत नहीं ‘तो तुम भी गलत ही हो ‘,
‘सही को सभी सही कहते हैं इसमें ‘,कोई खास बात नहीं है “|
[9]
‘जब भी उभरने का प्रयास किया’ ,’धड़ाम से नीचे गिरा दिया ‘,
‘हरबख्त होंसले बुलंद बनाए रक्खे’ , पंख बिखरने नहीं दिये ‘|
[10]
मेरा विचार :-
” प्रभु से प्रार्थना है खुशियाँ आपके सबके घर पर दस्तक करें ,
देर तक रुकें और जाने से पूर्व आपके पास शांति , प्रेम , खुशी
और स्वस्थ वातावरण छोड़ कर जाएँ ” |