
‘यदि हम’ ‘अपनी प्रशंसा’ सुनकर ‘फूल जाते हैं’ , ‘तो कमजोर हैं’ ,
‘निंदा’ और ‘अपमान’ सुनकर ‘असंतुलित ‘ होते हैं, ‘तो भी गलत ‘ है,
‘हर स्थिति मे’ ‘समभाव रक्खो’ ,’समय का’ ‘सही मूल्यांकन’ करो ,
हम- ‘स्थितियों के गुलाम’ नहीं,’उन्हे अपने अनुसार’ ‘ढालने की कला’ सीखो |