Home धर्म “मोह-दान , पाप-दान , पाखंड-दान करते रहो “

“मोह-दान , पाप-दान , पाखंड-दान करते रहो “

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‘दान   दिये   आनन्द   मिले  ‘ ,  ‘दोनों   हाथों    दे’ , 
‘प्रकृति  के  आनन्द  का ‘ ‘आनंद  ही  कुछ  और  है ‘,
‘मोह-दान ‘, ‘पाप-दान’ , ‘पाखंड – दान’  करते  रहो ,
‘जब  तक  तन में  प्राण हैं ‘,’जीवन  लगा दे  दान में ‘|

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