[1]
‘आपको कोई अच्छा लगे तो समझो आप खुद बेनज़ीर हो ‘,
‘आपकी नज़र बुराई पर नहीं टिकती’,’सिर्फ गुलाब ढूंढती हैं आँखें ‘|
[2]
‘देश का पर्यावरण दूषित न रहे , शुद्धता की कसौटी पर खरा उतरे ,
ऐसे सार्थक प्रयास अविलंब शुरू हों’ ‘नई सरकार से पूर्णतया अपेक्षित है’|
]3]
‘जब ‘अपनी गलती’और ‘दुसरे की अच्छाई’ नज़र नहीं आयें ‘,
‘अंधकार और अहंकार’ के शिकार हो गए समझो खुद को ‘|
[4]
‘जब जीवन मिला है तो जीना ही पड़ेगा ‘,
‘तेरे अहसास ही सिखाएँगे जीने का सलीका भी’ |
[5]
‘प्रतिकूल परिस्थिति आई है तो चली भी जाएगी ,’ पापों का फल जान ‘,
‘पाप भी कट जाएंगे,सुखी भी हो जाओगे, ‘परिस्थतियाँ रोज़ बदलती हैं ‘|
[6]
‘दिल के जख्म जुबां पर उभरने लगे’ ,
‘हम करें तो क्या करें ‘,
‘काँटों की सेज़ पर रोये नहीं’,
‘फूलों का बिस्तर रुला रहा है अब ‘|
[7]
‘रिस्ते – ‘नज़दीकियाँ या दूरियाँ’ नहीं समझते ,’ अहसासों का मेला है ‘,
‘दिलों में जगह बनाए रखने के लिए,’कुछ खोना पड़े तो भी सस्ता समझ’|
[8]
‘पढ़-लिख कर निखर जाना’ ,
‘कर्तव्य की श्रेणी समझ ‘,
‘कर्तव्य सही निभाना’ ,
‘उत्तम व्यक्तित्व का स्वरूप ‘|
[9]
‘कितने भी ऊंचे महल बनवा लो ‘,
‘बड़प्पन नहीं बढ़ पाएगा ‘,
‘इंसानियत का चोला पहन’ ,
‘तुमसे अच्छा नहीं होगा कोई ‘|