[1]
‘यदि ‘इच्छायें’ आपकी ‘योग्यता’ से ज्यादा हैं,
‘भिनभिनाते ही रहोगे,
‘यदि ‘योग्यता’ ‘इच्छाओं से ज्यादा है,
‘सफलता’ मान लो अपनी’।
“हमें अपनी निगाहों से ” “कितना भी दूर कर देना” ,
“ख्यालों से दूर करके दिखाओ “,” तो जानेंगे तुम्हें ” |
[3]
“ज्ञान” वह “धन” है ,चाहे “किसी से” भी ले लो, कभी “वापस” नहीं देना पड़ता ,
“अज्ञान” के “अंधकार ” मिटाने के लिए “,ज्ञान- दीप ” “जलाना” ही चाहिए |
“अच्छे गुण” “जहां” भी मिल जाएँ “‘उन्हें ग्रहण करने मे ” देरी ” मत करो |
“समय-सीमा” में कार्य करने से,”सफलता” के “द्वार” पर “ताला” नहीं लगता |
[4]
आज का जमाना
‘जेब गर्म हो तो ‘ How are you ‘ ?
‘ जेब नरम हो तो ‘ Who are you ‘?
‘जेब गर्म हो तो ‘ How are you ‘ ?
‘ जेब नरम हो तो ‘ Who are you ‘?
[5]
‘अगर परिस्थितियों से निपटना नहीं आया तो,
‘हमारा जीना बेमानी है,
‘ तैराकी ही गंगा पार करते हैं , ‘ बाकी नौसिखिए कहाते हैं ।
‘हमारा जीना बेमानी है,
‘ तैराकी ही गंगा पार करते हैं , ‘ बाकी नौसिखिए कहाते हैं ।
[6]
‘जिंदगी की ख्वाहिशों ‘ से पीछा छुड़ाने का प्रयास तो जारी रक्खा,
‘हम कभी ‘उस्ताद’ नहीं बने, ‘प्यादा’ बन कर ही जीते रहे’।
‘हम कभी ‘उस्ताद’ नहीं बने, ‘प्यादा’ बन कर ही जीते रहे’।
[7]
‘मेहनत करते रहे तो,’भविष्य’ अच्छा रहने का आश्वासन तो मिल जाएगा,
‘गारंटी कोई नहीं देता तभी , ‘वर्तमान को’ खूबसूरती से जीना ही जीना है’।
‘गारंटी कोई नहीं देता तभी , ‘वर्तमान को’ खूबसूरती से जीना ही जीना है’।
[8]
हमारे देश में –
‘फिर ‘शकुनी की चालों’ का जमाना आ गया शायद,
‘कान्हा की कलाबाजी’ कहीं भी अब दिखती नहीं ,
‘प्यारे झूठ’ ‘बोल बोल कर , धोखा देते नहीं थकते,
‘हुकूमत पाने का खुमार’अब निम्न स्तर को छू गया।
[9]
‘जो आपका ‘ख्याल’ रखता हो,’तुम भी महत्व दो उनको,
‘बाकी दुनिया का मेला है, ‘आज शुरू कल पर खत्म’।
‘बाकी दुनिया का मेला है, ‘आज शुरू कल पर खत्म’।
[10]
‘आपसदारी’ का आनंद चाहिए तो,
‘खामोश रहना व हारना’, दोनों जरूरी हैं,
‘अकड़खां ‘ बन कर क्या मिलेगा ?
‘शर्मिंदगी , नाशुकरापन , अभद्रता का व्यवहार ।
‘खामोश रहना व हारना’, दोनों जरूरी हैं,
‘अकड़खां ‘ बन कर क्या मिलेगा ?
‘शर्मिंदगी , नाशुकरापन , अभद्रता का व्यवहार ।