Home ज़रा सोचो “मेरी सोच खुशी के रंग जरूर बिखेरेगी “

“मेरी सोच खुशी के रंग जरूर बिखेरेगी “

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जरा सोचो
‘पूर्ण  विश्वास’  से  ‘ भक्ति ‘  अपना  रंग  बिखेरती  जरूर  है,
‘ प्रभु’ बड़ा  निराला  है, ‘ बिना  मांगे ‘झोली’ खूब  भरता  है’ !

[2]

जरा सोचो
‘चाहे  किसी  का  ‘ ध्यान ‘  रखो , ‘ आकर्षित ‘  रहो  या  बडाई ‘  करो,
‘तीनों’ की जरूरत  है, समयानुसार  खुद  को  ‘परिवर्तित’  करते  रहो’ !

[3]

जरा सोचो
‘ कोरोना  काल’  क्या  आया  ?’ सारे  अपने’  इधर  उधर  होने  लगे,
‘हमारा’ जो होगा  देखा जाएगा, प्रभु ! उन्हें ‘सलामत’  रखना  सदा’ !

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जरा सोचो
‘ यदि  आपका ‘ चेहरा ‘  प्यारा , ‘ आवाज ‘  मीठी , ‘ मासूम ‘  दिल  है,
‘ सभी  से ‘मुस्कुरा  कर’ बात  करते  हो,’हर दिल  अजीज ‘प्राणी’  हो’ !

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जरा सोचो
‘ उन्नति ‘  करते  समय  ‘ पीछे  रह  गए  लोगों  को ‘  भूल  मत  जाना,
‘समय चक्र’ में  फंस कर  नीचे  उतरे  तो, ‘स्वागत’ करेंगे  आपका  वो  ही’ !

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जरा सोचो
‘हमारी ‘आंखों’ के  दीवाने  हजारों  हैं, ‘ फिर  यह  वीराना  किसलिए ?
‘ शायद  ‘ वो ‘  अब  तक  नहीं  समझे , ‘ जिन्हें ‘  इनकी  जरूरत  है’ !

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जरा सोचो
‘पुण्य  का  फल ‘  फौरन  चाहिए , ‘ पाप  का  फल ‘  भुगतने  को  तैयार  नहीं,
‘दान, दया, धर्म, करता चल, ‘कुकर्मों से पीछा छुड़ा, सब कुछ सही हो जाएगा’ !

[8]

जरा सोचो
‘ चरित्र ‘  पवित्र  है  तो  ‘ मित्र ‘  भी  ‘ सचरित्र ‘  मिल  जाएंगे,
‘हाथ से हाथ’ धुलता है, ‘हरी-राम’ की जोड़ी भी मिल जाएगी’ !

[9]

जरा सोचो
‘एक  समस्या  घटती  है ,दूसरी  तैयार  मिलती  है,
‘ इसी  ‘ कशमकश ‘  में  जी  रहे  हैं  हम  सभी ‘ !

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जरा सोचो
‘कौन  कहता  है- ‘आंख  बंद  करके  बैठना’ ‘ध्यान  की  परिधि’  है,
‘यह  तो  ‘बंद  आंखों’  को  खोलने  का, भगवान  का ‘मूल  मंत्र’  है’ !

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