[1′]
‘मुस्कराता चेहरा’ ‘खुशबू की दुकान’ ‘सरीखा लगता है ‘,
‘दिल की जलन खतम ,’आँखों में चमक तैर जाती है ‘|
[2]
‘जरा सी चूक पर सालों पुराने रिस्तों को हम भूल जाते हैं ‘,
‘लोग पत्थर दिल हो गए’,’हम आज तक नहीं समझे ‘|
[3]
‘अपनेपन का अहसास ही सही जीना सिखाता है ‘,
‘यूं तो किसी के बिना भी’ ,’जिंदगी थमती नहीं कभी ‘|
[4]
‘सिर्फ वर्तमान को मस्त हो कर भोगो’ ,‘इसे बेसकीमती तोहफा समझ ‘,
‘ हाय- हाय करके जीते रहे तो ‘,‘ केवल दर्द हाथ आएगा ‘|
[5]
‘माँ-बाप चाहे अनपढ़ हों ‘,’संस्कारों का विश्व विद्यालय है ‘,
‘संस्कारों का कोई स्कूल नहीं’ ,’हमें यह अहसास नहीं है ‘|
[6]
‘आशीर्वाद मिलते जरूर हैं,’ ‘परंतु कभी दिखाई नहीं देते’,
‘असंभव को संभव होते कई बार देखा है जनाब ‘|
[7]
‘खुद के मन की बात हो जाए’ ,
‘तो बड़ा अच्छा लगता है ‘,
‘अगर ऐसा न हो तो खटकती है’ ,
‘ये ही ‘इच्छा’ का चरित्र है ‘|
[8]
‘जब घट-घट में ‘राम’ समाया है’ ,
‘फिर अपना-पराया किसलिए ‘?
‘हर प्राणी को अपना अज़ीज़ समझ’ ,
‘स्नेह से भिगोता चल ‘|
[9]
‘सहयोग की भावना बनी रही तो’,
‘तुझसे बडा ‘अमीर’ कोई नहीं ‘,
‘आशा रहित सहयोग’ तुझे ‘,
‘दिल का अमीर’ बना देगा ‘|
[10]
‘गंदी सोच और गंदी नियत’ का ,
‘उपवास क्यों नहीं करते ‘?
‘व्रत करके भी उलट-पलट करने से ,
‘बाज़ नहीं आते , ढलोसली हो ‘|