Home कविता मेरा परिचय और प्रभु से प्यार

मेरा परिचय और प्रभु से प्यार

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‘मेरे किए गए’ ‘अच्छे-बुरे’ ‘कर्म’, ‘मेरा परिचय’ है ,
‘मैं’ – ‘समाज से निलम्बित’ हूँ,या ‘परिहास का मुखौटा’ हूँ |

 (2)
 ‘यदि’ ‘आप’ ‘वास्तव मे’ ‘परमात्मा’ से ‘प्यार ‘ करते हैं ,
तो ‘दूसरों की भलाई ‘ करके ‘ भूल जाना’ ‘सीखिये ‘ |
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