[1]
जरा सोचो
‘फर्जी गांधी’ बनो या ‘देश के प्रहरी ‘, तुम्हारी ‘सोच का कमाल’ है,
‘ देश’ सिर्फ उसको ‘याद’ रखता है, जो ‘कुछ ‘ ‘देशहित’ में करके मरे !
[2]
जरा सोचो
‘सुख’ भी कमाल है , ‘ सीखे सारे सबक ‘ पीछे धकेल देता है,
‘ तकलीफें ‘ बहुत कुछ ‘ सिखा ‘ देती हैं , हमारी ‘ धरोहर ‘ हैं !
[3]
जरा सोचो
‘निस्वार्थ’ भाव की ‘सेवा’ का ‘प्रसाद”,’ स्वादिष्ट और आनंदमयी ‘ होता है,
‘अशुम समाचार’ आसानी से नहीं मिलते , दुख दर्द के नामोनिशान खत्म !
[4]
जरा सोचो
‘खुद’ को खोकर ‘ जिंदगी ‘ तलाशना ‘ वाजिब ‘ नहीं,
‘रास्ते’ चारों तरफ से हैं, ‘मंजिल’ की ‘तलाश’ करता चल !
‘खुद’ को खोकर ‘ जिंदगी ‘ तलाशना ‘ वाजिब ‘ नहीं,
‘रास्ते’ चारों तरफ से हैं, ‘मंजिल’ की ‘तलाश’ करता चल !
[5]
जरा सोचो
‘ संक्रमण’ से ‘बीमारी’ और ‘संस्कारों’ से ‘सभ्यता’ का विकास होता है,
तुम किससे ‘प्रभावित’ हो , यह बात तय करेगी ‘तुम’ कैसे प्राणी हो ?
‘ संक्रमण’ से ‘बीमारी’ और ‘संस्कारों’ से ‘सभ्यता’ का विकास होता है,
तुम किससे ‘प्रभावित’ हो , यह बात तय करेगी ‘तुम’ कैसे प्राणी हो ?
[6]
जरा सोचो
‘झूठ’ के ‘हजार रूप ‘, हजारों में हजार रुप , यही सबको भाते हैं ,
‘सत्य’ बड़ा सरल, स्पष्ट, और कांतिमय होता है परंतु ‘हजम’ नहीं होता !
‘झूठ’ के ‘हजार रूप ‘, हजारों में हजार रुप , यही सबको भाते हैं ,
‘सत्य’ बड़ा सरल, स्पष्ट, और कांतिमय होता है परंतु ‘हजम’ नहीं होता !
[7]
जरा सोचो
‘मुस्कुराने’ की ‘वजह’ होती है, परंतु ‘बेवजह’ भी ‘मुस्कुराइए’,
‘मुस्कुराने’ की ‘वजह’ होती है, परंतु ‘बेवजह’ भी ‘मुस्कुराइए’,
तुम्हारी ‘ बुदबुदाहट ‘ वातावरण को ‘आनंदित ‘ बना देगी !
[8]
मेरी सोच
” कोई नहीं जानता आपका कौन सा कदम जीवन में बहार लेकर आ जाए ! इसलिए कदम दर कदम
सुविचारी बन कर बढ़ते रहिए , एक दिन अनायास ही सफलता के द्वार स्वयं ही खुल जाएंगे ” !
[9]
जरा सोचो
‘मुसीबत’ में कोई ‘साथ’छोड़ गया,कोई ‘हमसफ़र’ बन गया,
दोनों कुछ ‘सिखा’ कर ही गए , दिल से ‘शुक्रिया’ उनका !
‘मुसीबत’ में कोई ‘साथ’छोड़ गया,कोई ‘हमसफ़र’ बन गया,
दोनों कुछ ‘सिखा’ कर ही गए , दिल से ‘शुक्रिया’ उनका !
[10
जरा सोचो
सदा ‘शेर’ की भांति ‘दहाड़ते’ हो, ‘कमल’ की तरह कभी ‘मुस्कुराते’ नहीं,
अपनी ‘आग’ में खुद ‘भस्म’ हो जाओगे , एक दिन ‘भूल’ जाएंगे सारे !
सदा ‘शेर’ की भांति ‘दहाड़ते’ हो, ‘कमल’ की तरह कभी ‘मुस्कुराते’ नहीं,
अपनी ‘आग’ में खुद ‘भस्म’ हो जाओगे , एक दिन ‘भूल’ जाएंगे सारे !