‘इतनी नफ़रतों ‘ से ‘ क्यों’ ‘ नवाजते हो’ ‘ हमें ‘ ,
‘क्यों ‘ ‘इतना जहर’ , ‘जहन में’ ‘पाल ‘ रक्खा है ,
बस ‘तुम्हें ‘ ‘मुस्कराते देखने ‘ की ‘तमन्ना है मेरी’ ,
‘इतनी ख़्वाहिश’ की ‘इतनी बड़ी सज़ा’-‘क्यों,किसलिए’ ?
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[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…
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शुद्ध सुविचार जीवन के आधार हैं , जरा सोचें
जरा सोचो ‘हवा में लट्ठ’ बहुत चला लिया, कुछ ‘काम की बात’ भी करो,… -
*विश्व का सबसे बड़ा व ‘ वैज्ञानिक समय गणना तंत्र ‘ हमारे ऋषि द्वारा प्रतिपादित*
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