भारतीय खान-पान में साबुत अनाज के सापेक्ष में उसके आटे से बनी वस्तुओं की मात्रा बढ़ जाती है | यदि एक ही अनाज के स्थान पर मिश्रित अनाज के आटे का उपयोग किया जाए तो इससे बनी वस्तुओं के सेवनकर्ता को स्वाद व सेहत दोनों दृष्टि से लाभ मिलेगा | वैसे भी एक ही अनाज या उससे बने आटे की वस्तुएँ लगातार खाने से आगे चल कर लाभ मिलने की अपेक्षा हानि होने लगती है |
गेहूं के साथ चावल , बाजरा , ज्वार , जौ , मक्का , रागी , चना , सोयाबीन आदि का विभिन्न अनुपात में मिश्रण कब्ज़ , रक्त चाप , शुगर , ह्रदय रोग , मोनोपाज़ , गर्भावस्था , मोटापा , निर्बलता आदि में लाभ दिला सकता है जिसमें विशेष रूप से :-
{1} दुर्बल व्यक्ति गेहूं की रोटी खा कर सुडौल हो सकता है |
{2} मोटापा पीड़ित व्यक्ति मिश्रित आटे की रोटी खा कर निश्चित ही सुडौल हो जाएगा |
{3} शुगर के रोगी गेहूं , चना , मेथी ,मिश्रित आटे की रोटी खाएं | चने की मात्रा ज्यादा हो और मेथी की मात्रा कम | यह शुगर नियंत्रण करने में सहायक है |
{4} उक्त रक्त चाप से पीड़ित व्यक्ति गेहूं में सोयाबीन एवें अलसी के मिश्रण से बने आटे की रोटी खाएं | यह रक्त चाप की स्थिति में राहत देता है |
{5} गर्भावस्था में महिलाएं गेहूं , सोयाबीन के मिश्रित से बने आटे की रोटी , साथ में हरी भाजी मिला कर बनाएँ व खाएं | यह महिला व शिशु दोनों के लिए लाभदायक है |
{6} बढ़ते बच्चे को गेहूं , चना , जौ , रागी , सोयाबीन के मिश्रण से बनी आटे की रोटी खिलाएँ | यह शारीरिक वृद्धि में सहायक है |
{7} रजो निवर्त्ति की स्थिति में महिलाएं रक्त चाप , कोलोस्ट्रल , मधुमेह से पीड़ित हो जाती हैं | उन्हें 5 किलो आटे में 2 किलो चना , 2 किलो सोयाबीन एवं शेष मात्रा अलसी व मेथी दाना मिला कर इस आटे की रोटी खिलाएँ
जय भारत