Home ज़रा सोचो ‘मानव मूल्यों के प्रति समर्पित रहो ‘ जीवन की सुविधा के लिए सोच उन्नत करो ‘ |

‘मानव मूल्यों के प्रति समर्पित रहो ‘ जीवन की सुविधा के लिए सोच उन्नत करो ‘ |

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[1]

‘अनावश्यक  कामों  से  बचें ,जरूरी  कामों  को  करते  रहे,
‘समय  का  सदुपयोग  करना  नहीं  आया  तो  कुछ  नहीं  आया,
‘रास्ता  चुनने  का  हक  सबका  है  बस  रास्ता  सही  होना  चाहिए,
‘सार्थक  जीवन  तभी  है  जब  सुख  दुख  से  ऊपर  उठकर  रहें,
‘आदर्श  दृष्टि  वह  है  जो  अच्छी  बात  छोड़ने  का  बहाना  नहीं  ढूंढती,
‘लोग  तो  कहते  ही  हैं  कहते  रहे  , निरंतर  परिश्रम  मत  भूल  जाना,
‘संसार  में  अपनी  जगह  बनाए  रखने  का  प्रयास  ही  प्रयास  है,
उदास  होकर  बैठने  से  खुशी  के  चिराग  बुझ  जाएंगे  जनाब,


न  कभी  रुको ,  न  झुको ,  न  घुटने  टिकाओ , आशावादी  बनो,
‘ना  कभी  लड़ो, ना  उदासियां  पालो, खुशियां  तलाशते  रहो,
‘हालात  होते  नहीं, इजाद  किए  जाते  हैं, उनसे  लड़ना  पड़ता  है,
‘सतत  प्रयासरत  बने  रहना, सजग  प्रहरी  बना  देगा  हमें’ !

[2]

‘अपनी  भावनाओं  पर  अंकुश  और  मानव  मूल्यों  के  प्रति  समर्पित  रहो,
‘यह  अपराध  मुक्त, सुंदर  व  स्वस्थ  समाज  की, संरचना  का  आधार  है’ !

[3]

‘जो  साष्टांग  प्रणाम  करके  चरणों  में  नत  प्राणी , वाहवाही  लूटता  है,
‘वह  षड्यंत्रकारी, बखिया  उधेड़, और  गलत  राह  का  राही  मिलता  है’ !

[4]

‘रिश्तो  को  जिलाए  रखने  हेतु ,’ प्रेम  की  गर्माहट  की  जरूरत  है,
‘भावनाओं  और  व्यवहार  का  ठंडापन, ‘रिश्तो  की  उम्र  घटा  देता  है’ !

[5]

‘प्रेम  के  मोती  धागे  से  गूंथिए ‘ ‘ बिखरने  मत  देना  कभी,
‘यह  अनमोल  पूंजी, सबसे  अमीर  इंसान  की  हैसियत  दिला  देगी’ !

[6]

‘मौन  रहकर  कई  उलझनों  से  बच  जाओगे,’मुस्कुराकर  हल  कर  लोगे,
‘मौन  के  मौके  पर  मौन , मुस्कुराने  पर  मुस्कुराना  भूल  मत  जाना’ !

[7]

‘सम्मान  या  अपमान, ‘ प्रेम  या  नफरत , कुछ  भी  दो,
‘एक दिन  वापस  लौट  आएगा, ‘सृष्टि  के  नियम  अटल  हैं’ !

[8]

‘अपने  विचारों  को  उन्नत  करो , ‘ ताकत  तो  पत्थरों  में  भी  है,
‘फसल  उगाने  हेतु  सामान्य  बारिश  चाहिए ,’मूसलाधारी  नहीं’ !

[9]

‘ तुम  ना  कभी  मुस्कुराते  हो , ‘ ना  कभी  गुनगुनाते  हो ,
‘नीरस  प्राणी  की  श्रेणी  है आपकी,’कोई  इसे  जीना  नहीं  कहता’ !

[10]

‘पौधा  लगाकर  पानी  देना  छोड़  दिया  तो  निश्चित  ही  मुरझा  जायेगा,
‘यही  बात  रिश्तो  में  है, ‘बातचीत  का  सिलसिला  चालू  रहना  चाहिए’ !

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