लक्ष्मी उवाच –“-मैं ही ‘मान , सम्मान ,उत्थान , सब कुछ हूँ ‘ ,
‘हर प्राणी मुझ पर जान देता है’ , ‘सम्मान देता है ”
विष्णु उवाच –” जब तक शरीर में मैं हूँ , तेरी कीमत समझ ,
मैं , शरीर से निकला ,बस शमशान है , कुछ भी नहीं “|
नोट:- जीव और आत्मा मिल कर जीवात्मा कहलाती है जो हर प्राणी में
निवास करती है |