महा शिवरात्रि के शुभ अवसर पर
महाशिवरात्रि की आपको और आपके परिवार को भी हार्दिक शुभकामनाएं ।
फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है । इस दिन उपवास सहित विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से नरक का योग मिटता है । शिवरात्रि व्रत की कथा इस प्रकार है :-
बहुत पहले अर्बुद देश में सुन्दरसेन नामक निषाद राजा रहता था । वह एक बार जंगल में अपने कुत्तों के साथ शिकार के लिए गया । पूरे दिन परिश्रम के बाद भी उसे कोई जानवर नहीं मिला । भूख प्यास से पीड़ित होकर वह रात्रि में जलाशय के तट पर एक वृक्ष के पास जा पहुंचा जहां उसे शिवलिंग के दर्शन हुए ।
अपने शरीर की रक्षा के लिए निषाद राज ने वृक्ष की ओट ली लेकिन उनकी जानकारी के बिना कुछ पत्ते वृक्ष से टूट कर शिवलिंग पर गिर पड़े । उसने उन पत्तों को हटा कर शिवलिंग के ऊपर स्थित धूलि को दूर करने के लिए जल से उस शिवलिंग को साफ़ किया । उसी समय शिवलिंग के पास ही उसके हाथ से एक बाण छूट कर भूमि पर गिर गया । अत: घुटनों को भूमि पर टेक कर एक हाथ से शिवलिंग को स्पर्श करते हुए उसने उस बाण को उठा लिया । इस प्रकार राजा द्वारा रात्रि-जागरण , शिवलिंग का स्नान , स्पर्श और पूजन भी हो गया । प्रात: काल होने पर निषाद राजा अपने घर चला गया और पत्नी के द्बारा दिए गए भोजन को खा कर अपनी भूख मिटाई । यथोचित समय पर उसकी मृत्यु हुई तो यमराज के दूत उसको पाश में बांध कर यमलोक ले जाने लगे , तब शिवजी के गणों ने यमदूतों से युद्ध कर निषाद को पाश से मुक्त करा दिया । इस तरह वह निषाद अपने कुत्तों से साथ भगवान शिव के प्रिय गणों में शामिल हुआ ।
