
‘महक ही महक हो’ ‘ चारों तरफ संसार में ‘
‘हम जहां भी रहें’ ,’ मिठास ही मिठास हो ‘,
‘हर इंसान’- ‘प्रेम की गंगा बहता चले ‘,
‘सुख का बिरंवा ‘ ‘सींचता चले जमाने में ‘
‘महक ही महक हो’ ‘ चारों तरफ संसार में ‘
‘हम जहां भी रहें’ ,’ मिठास ही मिठास हो ‘,
‘हर इंसान’- ‘प्रेम की गंगा बहता चले ‘,
‘सुख का बिरंवा ‘ ‘सींचता चले जमाने में ‘
‘कामयाबी पर गुमान’ , ‘शेर-दिल ‘ को भी ‘गुमनामी मे ‘ धक…
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