Home ज़रा सोचो ” मन को बुरे कामों से बचाना , मंथन करना बेहद जरूरी हैं ‘ |

” मन को बुरे कामों से बचाना , मंथन करना बेहद जरूरी हैं ‘ |

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[1]

‘ धन , परिवार ‘ आपको  नहीं  बांधता ,’ कोई  पदार्थ ‘ नहीं  जो  आपको  ‘बांध’  सके,
‘आप  अपने ‘मन’  के  कारण ‘बंधे’  हैं, ‘विषयों  की  बंदी’ जन्मो  तक ‘बांधे’ रखती  है’ !

[2]

‘एकाग्रता’ हमें  जीना  सिखाती  है, ‘मंथन’ सिखाती  है, ‘मन’ कमजोर  नहीं  पड़ता,
‘अस्थिरता’ बेचैनी  बढ़ाती  है, ‘उचित  अनुचित’ भुलाती  है,  सिर्फ  ‘पीड़ा’  देती  है’ !

[3]

‘सत्संग’  तो  सभी  करते  हैं, ‘सत्य  का  संग’ कोई  नहीं  करता,
‘कलयुग  की  चकाचौंध’ में ‘अशांति’  को  रोज  ‘गले’ लगाते  हैं’ !

[4]

‘बच्चे’  भारत  का  भविष्य  हैं, उनका  निर्माण  पूरे  भारत  का  निर्माण  है,
‘विद्यालय’ बनाना आसान  है, ‘संस्कारी  बच्चे’ तैयार  करना  अति  दुष्कर,
‘बुराइयों’ और ‘बुरी  बातों’ से  बचा कर, बच्चों  का  जीवन  सुधारते  जाओ,
‘उन्हें ‘बेचारा’  मत  कहो, ‘सख्ती’ बरतो, ‘अनुशासन’  में  रहना  सिखाओ’ !
[5]
‘जिंदगी’  केवल  एक  बार  मिलती  है,
‘वह  भी  ‘रोते- बिलखते’  बिता  दी,
‘बंद  चिड़िया’ से ‘चहकना’ सीख  लेता,
‘खुशियों  का  मोहताज’  नहीं  बनता’ !
[6]
‘मैं ‘  कभी  ‘भूल’ नहीं  करता , ‘ यह  दावा ‘ ‘सफेद  झूठ’  ही  है,
‘कोई कुछ करने का प्रयास करेगा, तो ‘भूल होना’ स्वभाविक है’ !
[7]
”मन’  को  ‘बुरे  कामों’ से  रोक  लेना , सबसे  बड़ी  जीत  है,
‘ अपने  सदद्गुरु’  की  दया  का  पात्र  बनो , संभल  जाओगे,
‘बुरे काम’ के ‘जहर’  को, ‘नाम  रूपी  मंत्र’ से  खत्म  कर  डालो,
‘ज्ञान  का  डंडा’,’ गुरु मंत्र’,’ संतों का समागम’, ‘मन’ में उतारो’!
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