#संस्कार
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बेटा तुम्हारा इन्टरव्यू लैटर आया है। मां ने लिफाफा हाथ में देते हुए कहा।
यह मेरा सातवां इन्टरव्यू था। मैं जल्दी से तैयार होकर दिए गए नियत समय 9:00 बजे पहुंच गया। एक घर में ही बनाए गए ऑफिस का गेट खुला ही पड़ा
था मैंने बन्द किया भीतर गया।
सामने बने कमरे में जाने से पहले ही मुझे माँ की कही बात याद आ गई बेटा
भीतर आने से पहले पांव झाड़ लिया करो।फुट मैट थोड़ा आगे खिसका हुआ
था मैंने सही जगह पर रखा पांव पोंछे और भीतर गया।
एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी अपना इंटरव्यू लेटर उसे दिखाया तो उसने
सामने सोफे पर बैठ कर इंतजार करने के लिए कहा। मैं सोफे पर बैठ गया,
उसके तीनों कुशन अस्त व्यस्त पड़े थे आदत के अनुसार उन्हें ठीक किया,
कमरे को सुंदर दिखाने के लिए खिड़की में कुछ गमलों में छोटे छोटे पौधे
लगे हुए थे उन्हें देखने लगा एक गमला कुछ टेढ़ा रखा था, जो गिर भी
सकता था माँ की व्यवस्थित रहने की आदत मुझे यहां भी आ याद आ
गई, धीरे से उठा उस गमले को ठीक किया।
तभी रिसेप्शनिस्ट ने सीढ़ियों से ऊपर जाने का इशारा किया और कहा
तीन नंबर कमरे में आपका इंटरव्यू है।
मैं सीढ़ियां चढ़ने लगा देखा दिन में भी दोनों लाइट जल रही है ऊपर चढ़
कर मैंने दोनों लाइट को बंद कर दिया तीन नंबर कमरे में गया ।
वहां दो लोग बैठे थे उन्होंने मुझे सामने कुर्सी पर बैठने का इशारा किया
और पूछा तो आप कब ज्वाइन करेंगे मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ | जी मैं कुछ
समझा नहीं इंटरव्यू तो आप ने लिया ही नहीं।
इसमें समझने की क्या बात है हम पूछ रहे हैं कि आप कब ज्वाइन करेंगे ?
वह तो आप जब कहेंगे मैं ज्वाइन कर लूंगा लेकिन आपने मेरा इंटरव्यू कब
लिया वे दोनों सज्जन हंसने लगे।
उन्होंने बताया जब से तुम इस भवन में आए हो तब से तुम्हारा इंटरव्यू चल
रहा है, यदि तुम दरवाजा बंद नहीं करते तो तुम्हारे 20 नंबर कम हो जाते हैं
यदि तुम फुटमेट ठीक नहीं रखते और बिना पांव पौंछे आ जाते तो फिर 20
नंबर कम हो जाते, इसी तरह जब तुमने सोफे पर बैठकर उस पर रखे कुशन
को व्यवस्थित किया उसके भी 20 नम्बर थे और गमले को जो तुमने ठीक
किया वह भी तुम्हारे इंटरव्यू का हिस्सा था अंतिम प्रश्न के रूप में सीढ़ियों की
दोनों लाइट जलाकर छोड़ी गई थी और तुमने बंद कर दी तब निश्चय हो गया
कि तुम हर काम को व्यवस्थित तरीके से करते हो और इस जॉब के लिए
सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हो, बाहर रिसेप्शनिस्ट से अपना नियुक्ति पत्र ले लो
और कल से काम पर लग जाओ।
मुझे रह रह कर माँऔर बाबूजी की यह छोटी-छोटी सीखें जो उस समय
बहुत बुरी लगती थी याद आ रही थी।
मैं जल्दी से घर गया मां के और बाऊजी के पांव छुए और अपने इस अनूठे
इंटरव्यू का पूरा विवरण सुनाया.
*इसीलिए कहते हैं कि व्यक्ति की प्रथम पाठशाला घर और प्रथम गुरु माता पिता ही है ।*