” मकर संक्रांति ” के शुभ अवसर पर ‘ सभी देशवासियों के मंगल की कामना ‘ और ‘ शुभ कामनाएँ ‘
‘ मकर संक्रांति ‘ की कुछ मान्यताएँ इस प्रकार हैं :-
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चंद्र के मेष में रेव नक्षत्र के चलते पौष मास शुक्ल-पक्ष में मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है |
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इस दिन भगवान सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव के घर जाते हैं और यह पिता- पुत्र का अनोखा मिलन दिन है |
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पहले दिन लोहड़ी सम्पन्न होती है | इस दिन सूर्य देव मकर राशि पर आते हैं | इसे ‘ नारायणी ‘ भी कहा जाता है |
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तमिलनाडू में इसे ‘ पोंगल ‘ त्योहार के रूप में मनाया जाता है | तथा ‘कर्नाटक’ , ‘केरल’ और ‘आंध्रा -प्रदेश ‘ में इसे ‘ संक्रांति ‘
के नाम से जाना जाता है |
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इस त्योहार को सर्दी की बिदाई और गर्मी के आगमन का सूचक भी माना जाता है | इस दिन ‘ नई फसल ‘ और ‘नई ऋतु ‘
का आगमन होता है |
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इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पुण्य कमाते हैं |
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सूर्य की पूजा करके दोपहर में ‘ खिचड़ी का अन्नदान ‘ एयर ‘वस्त्र -दान ‘ करने की परम्परा रही है |
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भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश में स्वीकारा है की सूर्य का उत्तरायन बहुत शुभ होता है |
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‘मकर संक्रांति ‘ के दिन ही ‘ भीष्म पितामह ‘ ने ‘इच्छा – म्रत्यु ‘ चुनी थी |