” परिस्थितियाँ और अज्ञान” ‘गलतियाँ करवा ही देता है’,स्वभाविक है’
‘ऐसी गल्तियों पर’ ‘दूसरों को’ या ‘खुद को ‘ ‘सज़ा देने का हक नहीं हमको’,
‘रोजाना हम कितनों को छमा करते है ‘ और ‘ कितनों से छमा प्राप्त करते हैं ‘,
‘अनेकों को ग्लानि भाव से मुक्त करते है’ , और ‘ खुद भी मुक्त होते हैं ‘ ,
‘किसी को’ , ‘भूल के लिए छमा ‘ और’ ग्लानि से मुक्ति दिलाना ‘ ‘परोपकार है ‘ ,
‘क्यों न यह प्रक्रिया अपनाई जाए ‘ ? ‘जीवन को और खूबसूरत बनाया जाए ‘ |