26 जनवरी , 2018 को भारतीय ने अपने 68 वर्ष पूरे कर लिए हैं और 69वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहे है | भारतीय गणतन्त्र की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है कि देश में उठे समस्त झंझावटों के मध्य इसने स्वम को बाकायदा कायम बनाए रक्खा है | संवैधानिक भारतीय गणतन्त्र के तहत “हमारा राष्ट्र ” “विश्व पटल पर ” “एक जबर्दस्त आर्थिक ताक़त के तौर पर स्थापित हुआ है ” |
आतंकवाद कि बर्बर चुनोतियों का मुक़ाबला करते हुए स्वम को विखंडित होने से बचाया , बल्कि मजबूत और स्थिर बनाया | 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान ने अपनी प्रथम अंगड़ाई ली थी , इस उम्मीद के साथ कि भारतीय संविधान अपने निर्माताओं कि कसौटी पर खरा सिद्ध होगा | भारतीय संविधान निर्मात्री एक से बढ़ कर एक राजनीति शास्त्र के विद्वान , प्रखर विधि विज्ञान और जंग – ए- आज़ादी के योद्धा विद्यमान रहे | जवाहरलाल नेहरू , सरदार वल्लभ भाई पटेल , बी आर अंबेडकर , श्यामा प्रसाद मुखर्जी , डाक्टर के एम मुंशी , ह्रदय नाथ कुंजरू , गोपाल स्वामी अय्यर , विश्वनाथ दास , हिरेन मुखर्जी , बी एन राव , ऐवम कृष्णस्वामी अय्यर आदि सरीखे मूर्धन्य व्यक्तित्व संविधान सभा में विद्यमान रहे थे |
संविधान कि प्रस्तावना मे ऐलान किया गया कि हम भारतवासी सार्वभौनिक , समाजवादी , धर्मनिरपेक्ष , जनवादी प्रजातांत्रिक भारत के निर्माण का संकल्प लेते हैं | इसके सभी नागरिकों के लिए सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक न्याय हासिल करेंगे, तथा स्वतन्त्रता , समानता एवं भाईचारा स्थापित करेंगे |
भारतीय संविधान में किए गए ऐलान और उसमें किए गए शानदार संकल्प को स्वीकार करने कि खातिर भारतीय नागरिकों के बुनियादी अधिकारों कि जोरदार इबारत रक्खी गयी | राज्यसत्ता के लिए राह प्रशस्त करने के नीति- निर्देशक सिद्धांतों कि संरचना अंजाम दी गयी | जनप्रतिनिधि सरकार कि स्थापना के लिए संविधान के आर्टिक्ल्स
रचित किए गए | संविधान के तहत ऐसी जनप्रतिनिधि सरकार कि स्थापना का प्रविधान किया गया , जो जनमानस के द्वारा जनमानस के लिए निर्मित कि जाए | संविधकन के आर्टिकल्स के आधार पर संवैधानिक मकसद को हासिल करने के लिए संसद , केंद्रीय सरकार , विधान सभाओं और प्रांतीय सरकारों का विशाल प्रजातांत्रिक ढांचा खड़ा किया जा जाए |
गणतन्त्र कि 69वीं वर्षगांठ का जश्न मानते हुए भारत बाकायदा विश्व कि एक जबर्दस्त आर्थिक शक्ति के तौर पर उभर चुका है किन्तु आर्थिक शक्ति के तौर पर स्थापित होने का समुचित फायदा भारत के वास्तविक जन-गण किसान , मजबूरों तक नहीं पहुँच सका | मुट्ठीभर कारपोरेट घरानों का ही अभी भी देश में बोलबाला है |