Home Uncategorized ‘ भरोसा ‘ है तो ‘पहाड़ों में भी रास्ते ‘ बन जाएंगे -‘ प्रयास ‘ करते रहने चाहिए |

‘ भरोसा ‘ है तो ‘पहाड़ों में भी रास्ते ‘ बन जाएंगे -‘ प्रयास ‘ करते रहने चाहिए |

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[1]

जरा सोचो
‘प्यार  के  दीवाने ‘  थे  ‘ दीवाने ‘  हैं ‘ दीवाने ‘  ही  रहेंगे,
कितना भी ‘उलट पलट’ करो, ‘दीवानगी’ घट नहीं सकती !

[2]

जरा सोचो
यौवन  में ‘हरियाली’ अधेड  उम्र  में ‘पीलापन’ बुढ़ापे  में ‘झुर्रियां’,
‘पत्ते  सरीखे ‘ जीवन  का  बस  इतना  ही  ‘फ़साना’  है !

[3]

जरा सोचो
‘बदला’ लेने की ‘प्रवृत्ति’ प्रबल, ‘बदलाव’ लाने का प्रयास नहीं,
‘प्यार  भरा  रिश्ता’  खत्म  हो  जाएगा , ‘ होश’  में  आओ !

[4]

 जरा सोचो
‘सर्वगुण  संपन्न’  तो  कोई  नहीं  और  ‘जीवन’  जीना  भी  है,
‘ कमियों’ को ‘नकारते’ चलो, ‘सकारात्मक’  बनकर  ही  जियो !
[5]
‘भरोसा  हो  तो  पहाड़ों  में  भी  रास्ते   बन  जाएंगे ,
 ‘संदेही  रहे  तो  उलझनों ‘ के पहाड़  ही बन पाएंगे  |
[6]
‘तुम  अच्छे  प्राणी  हो  परंतु  ‘सर्वोत्तम’  भी  बन  सकते  हो ,
कुंठित  मन  को  पूरा  रगड़ो ,जब तक जान  में  जान हो तेरे ” |
[7]
 ‘हाल  पुछते  ही  कहते  हो ,’जिंदा  हैं ‘, क्या  विकास  इसी  का  नाम  है ,
 यदि नहीं  तो  कहो ‘ज़िंदादिल ‘ इंसान  हूँ , रो-रो  कर  जीना  नहीं आता |
 [8]
‘सदा  पाने  का  प्रयास  है  ,  देने  की  कोशिश  नहीं ,
‘बरकत’ और ‘सम्मान’  दोनों  पाओगे ,अगर  देते  रहे ‘ |
[9]
‘कान  भरने  वाले  अनेक  पर  काम  करने  वाले  नहीं  मिलते ,
‘क्या  यूं  ही  देश का  ‘इतिहास’ लिखा  जाएगा , हम  धन्य  हैं ‘ |
[10]
‘ कठिनाइयों ‘  का  आना  ही  ‘मंजिल’  की  ओर  बढ्ने  का  इशारा  है ,
‘डर’  गए  तो ‘ मर ‘ गए , ‘आगे’  बढ़े  तो ‘ जीत ‘ निश्चित  समझ ‘|

 

 

 

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जरा सोचोजो ‘मिला’ है उसकी ‘कदर’ नहीं, और की ‘चाहत’ कम नहीं होती,’प्यार’ का मौसम खत्म, जीवन ‘गडमगढ़’ ही जी पाओगे !

 

 

 

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