Home ज्ञान “भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन को एक अद्भुत प्रसंग ‘!

“भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन को एक अद्भुत प्रसंग ‘!

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*अद्भुत प्रसंग -*

द्रौपदी   के   स्वयंवर   में   जाते   समय   श्री   कृष्ण   अर्जुन   को   समझाते   हुए   कहते   हैं   कि , ‘ हे  पार्थ  तराजू  पर   पैर   संभल  कर रखना ,  संतुलन  बराबर  रखना ,  लक्ष्य  मछली  की  आंख  पर  ही  केंद्रित  हो  इस  बात  का  विशेष  खयाल  रखना ‘…

तब  अर्जुन  ने     कहा , ” हे  प्रभु ”  सब  कुछ  अगर  मुझे  ही  करना  है ,  तो  फिर  आप  क्या  करोगे ‘, ?
वासुदेव   हंसते   हुए   बोले  ,’ हे   पार्थ   जो   आप   से   नहीं   होगा   वह   मैं   करुंगा .  पार्थ   ने   कहा   प्रभु   ऐसा   क्या   है ,  जो  मैं  नहीं   कर   सकता ‘ ?
तब  वासुदेव  ने  मुस्कुराते  हुए  कहा  -‘ जिस  अस्थिर ,  विचलित ,  हिलते  हुए  पानी  में  तुम  मछली  का  निशाना  साधोगे  ,  उस  विचलित  ” पानी ”  को  स्थिर  ” मैं ”  रखुंगा ‘!!
कहने  का  तात्पर्य  यह  है  कि  आप  चाहे  कितने  ही  निपुण  क्यों  ना  हो ,  कितने  ही  बुद्धिवान  क्यूँ  ना  हो ,  कितने  ही  महान  एवं विवेकपूर्ण  क्यों  ना  हो ,  लेकिन  आप  स्वंय  हर  एक  परिस्थिति  के  ऊपर  पूर्ण  नियंत्रण  नहीं  रख  सकते  ..  आप  सिर्फ   अपना  प्रयास कर  सकते  हो ,  लेकिन  उसकी  भी  एक  सीमा  है  और  जो  उस  सीमा  से  आगे  की  बागडोर  संभलता  है   उसी  का  नाम ” भगवान “ है  ।
*।।राधे राधे ।।*jai shri radhe krishna

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