[1]
‘प्रभु , तू ही करीब है , तू ही अज़ीज़ है , तो ही नसीब है ‘,
‘तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं ,’अपने मुरीद को संभालते रहना’|
[2]
‘खुद को चिराग बनाए रक्खो,
‘जहां जाओ रोशन किए रखना’,
‘एक दिन मिटना तो निश्चित है ,
‘यादों में रहना सुनिश्चित कर ‘|
[3]
‘अक्सर हर चीज ठोकर खा कर टूट ही जाती है ‘,
‘सिर्फ इंसान है जो ठोकर खा कर ,’संभल भी जाता है ‘|
[4]
‘ हर सुबह – जीवन में नई आशा का संचार करती है ‘,
‘उठो-अधूरे उत्तम कार्यों को पूरा करने का जज़्बा दिखा ‘|
[5]
‘हम आपस में मिलें या न मिलें ,
‘दिल में जगह रखते हैं ‘,
‘दिल के इस अहसास को कभी ,
‘कम नहीं होने देते ‘|
[6]
‘अच्छे लोग ‘खुशिया’ तो बुरे ‘तजुर्बा’ देंगे , दोषारोपण किसलिए ,?
‘घटिया लोग ‘पाठ’ पढ़ा जाएंगे, शानदार ‘यादों’ में बस जाएंगे ‘|
[7]
‘मेरी चाहत बेहिसाब थी उनके लिए ,
‘गल्ती हमारी थी-जरा सा गरुर कर बैठे’|
[8]
‘झूठ’ की सज़ा ये है की उनके ‘सच’ पर भी भरोसा न करें ,
‘अविश्वास की विधा’ एक दिन उसे ‘सच बोलना सीखा देगी ‘|
[9]
‘प्रभु दी हर चीज में तेरी खुशबू नज़र आती है हमें ‘,
ये तुझसे मुहब्बत है या उसका खुमार ,आज तक नहीं समझे ‘|
[10]
‘टेलीफोन ‘एक संयुक्त परिवार था ,
‘मोबाइल’ ने सबको अलग कर दिया ‘,
‘सभी इसी में मस्त हैं ,
‘संयुक्त परिवार की प्रथा खतम ‘|