Home ज़रा सोचो ‘ बेफिक्री और ज़िंदादिली ‘ ही पहचान है इंसान की |

‘ बेफिक्री और ज़िंदादिली ‘ ही पहचान है इंसान की |

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जरा सोचो
‘कुछ  पाने  का  सभी  ‘ आनंद ‘  लेते  हैं , ‘ खोने  का  मजा’  भी  चखना  चाहिए,
‘जरा सी बात पर ‘आंसू’ छलकते हैं, ‘प्रभु को याद’ करके भी ‘आंसू’ ढलकने चाहिए’ !

[2]

जरा सोचो
‘हम  धरती  पर ‘क्यों’ आए ? आज तक नहीं समझे,
‘जीवन के झमेलों’ से लिपटे, ‘पतन की राह’ पकड़े हैं’ !

[3]

जरा सोचो
‘प्रेममय’  हो  कर  प्रभु  के  ‘स्नेह  की  भांग’  पी  लिया  करो,
तेरी मोह, माया, अहं, सब लुट जाएंगे, आत्मा ‘विशुद्ध’ ही होगी’ !

[4]

जरा सोचो
‘दूध ‘ से  अधिक  दुनियां  में ‘चाय  के  शौकीन’ ज्यादा  हैं,
‘सांवली सूरत’ देखकर घबरा गए ,’बड़े कमजोर’ प्राणी हो !

[5]

जरा सोचो
‘ सांवला  रंग’ देखकर ‘बिदक’  गए, कैसे  ‘गबरु जवान’  हो ?
‘काली लैला’ के ‘प्यार के चर्चे’, दुनियां में आज भी ‘मशहूर’ हैं’ !

[6]

जरा सोचो
जितनी भी ‘डिस्टेंसिंग’ करो, जितना भी ‘क्वॉरेंटाइन’ करो,
‘स्नेह  के  मर्ज’  में  हमेशा ,  हमें  पॉजिटिव  ही  पाओगे ‘ !

[7]

जरा सोचो
‘भाईचारा’  नजर  तो  आता  है ,  ‘ हकीकत ‘  में  होता  नहीं ,
सभी ‘औपचारिकता’ निभाते हैं, ‘अलग’ होते ही ‘किस्सा’ खत्म’ !
[8]
 जरा सोचो
अपने भीतर के ‘अशुभ संस्कारों’ को ‘निर्मूल’ करो,
‘गुरु की शरण’ में जाओ,’श्रेय’ के ‘दर्शन’ हो जाएंगे !
[9]
जरा सोचो
‘काले’ जरूर हैं, दिल के शहंशाह है, नफरत नहीं करते,
‘हर  दिल’  में  उतरने  का ‘शऊर’  बनाये  रखते  हैं’ !
[10]
जरा सोचो
‘बेजान’  हो  कर  जिओगे  तो  ‘ बेजान ‘  ही  रह  जाओगे,
‘बेफिक्री और जिंदादिली’ ही ‘सही  पहचान’  है इंसान की’ !
 
 
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