[1]
जरा सोचो
‘कुछ पाने का सभी ‘ आनंद ‘ लेते हैं , ‘ खोने का मजा’ भी चखना चाहिए,
‘जरा सी बात पर ‘आंसू’ छलकते हैं, ‘प्रभु को याद’ करके भी ‘आंसू’ ढलकने चाहिए’ !
[2]
जरा सोचो
‘हम धरती पर ‘क्यों’ आए ? आज तक नहीं समझे,
‘जीवन के झमेलों’ से लिपटे, ‘पतन की राह’ पकड़े हैं’ !
[3]
जरा सोचो
‘प्रेममय’ हो कर प्रभु के ‘स्नेह की भांग’ पी लिया करो,
तेरी मोह, माया, अहं, सब लुट जाएंगे, आत्मा ‘विशुद्ध’ ही होगी’ !
[4]
जरा सोचो
‘दूध ‘ से अधिक दुनियां में ‘चाय के शौकीन’ ज्यादा हैं,
‘सांवली सूरत’ देखकर घबरा गए ,’बड़े कमजोर’ प्राणी हो !
[5]
जरा सोचो
‘ सांवला रंग’ देखकर ‘बिदक’ गए, कैसे ‘गबरु जवान’ हो ?
‘काली लैला’ के ‘प्यार के चर्चे’, दुनियां में आज भी ‘मशहूर’ हैं’ !
[6]
जरा सोचो
जितनी भी ‘डिस्टेंसिंग’ करो, जितना भी ‘क्वॉरेंटाइन’ करो,
‘स्नेह के मर्ज’ में हमेशा , हमें पॉजिटिव ही पाओगे ‘ !
[7]
‘भाईचारा’ नजर तो आता है , ‘ हकीकत ‘ में होता नहीं ,
सभी ‘औपचारिकता’ निभाते हैं, ‘अलग’ होते ही ‘किस्सा’ खत्म’ !
अपने भीतर के ‘अशुभ संस्कारों’ को ‘निर्मूल’ करो,
‘गुरु की शरण’ में जाओ,’श्रेय’ के ‘दर्शन’ हो जाएंगे !
‘काले’ जरूर हैं, दिल के शहंशाह है, नफरत नहीं करते,
‘हर दिल’ में उतरने का ‘शऊर’ बनाये रखते हैं’ !
‘बेजान’ हो कर जिओगे तो ‘ बेजान ‘ ही रह जाओगे,
‘बेफिक्री और जिंदादिली’ ही ‘सही पहचान’ है इंसान की’ !