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बेटियाँ ! हर घर की बगिया की बहार होती हैं !

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मेहंदी रोली– कंगन का सिँगार नही होता”’

रक्षा बँधन –भईया दूज का त्योहार नहीं होता””

रह  जाते  है  वो  घर  सूने  आँगन  बन  कर””

जिस  घर  मे  बेटियों  का  अवतार  नहीं  होता ”
जन्म देने के लिए माँ चाहिये

राखी बाँधने के लिए बहन चाहिये,

कहानी सुनाने के लिए दादी चाहिये,
जिद पूरी करने के लिए मौसी चाहिए,
खीर खिलाने के लिए मामी चाहये,
साथ निभाने के लिए पत्नी चाहिये,
पर यह सभी रिश्ते निभाने के लिए

बेटियां तो जिन्दा रहनी चाहये

घर आने पर दौड़ कर जो पास आये,
उसे कहते हैं बिटिया ? ।।

थक जाने पर प्यार से जो माथा सहलाए,
उसे कहते हैं बिटिया ? ।।

“कल दिला देंगे” कहने पर जो मान जाये,
उसे कहते हैं बिटिया ?

हर रोज़ समय पर दवा की जो याद दिलाये,
उसे कहते हैं बिटिया ? ।।

घर को मन से फूल सा जो सजाये, उसे कहते हैं बिटिया ? ।।

सहते हुए भी अपने दुख जो छुपा जाये,
उसे कहते हैं बिटिया ? ।।

दूर जाने पर जो बहुत रुलाये,
उसे कहते हैं बिटिया ? ।।

पति की होकर भी पिता को जो ना भूल पाये,
उसे कहते हैं बिटिया ? ।।

मीलों दूर होकर भी पास होने का जो एहसास दिलाये,
उसे कहते हैं बिटिया ? ।।

“अनमोल हीरा” जो कहलाये,
उसे कहते हैं बिटिया ???

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