Home ज़रा सोचो “बीती ताही बिसार दे आगे की सुध ले ” कुछ “विशेष मोती” आपके लिए ” |

“बीती ताही बिसार दे आगे की सुध ले ” कुछ “विशेष मोती” आपके लिए ” |

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[1]

‘अच्छे  रिश्ते’  मीठी  बातों  में  नहीं  फंसते,
‘लोग  पहचान  जाते  हैं,
‘उधार  की  जिंदगी’  कब  तक  जिएंगे  सभी ?
‘सब्र’  की  भी  सीमा  है’ !

[2]

‘गुस्सा’  ना  करें  तो  दब्बू , डरपोक , कमजोर , से  ‘ परिभाषित ‘  कर  देते  हैं,
‘गुस्सा’ करना ‘घमंड’ का  प्रतीक  है, हर  कोई  उससे  उलझना  नहीं  चाहता,
‘गुस्सा’ जीवन यात्रा का एक ऐसा पड़ाव है,जो मन-स्थिति निर्मित करा देती हैं,
‘ इस  समस्या  को ‘समभाव’  में  रह  कर  ‘ आकलन ‘ करने  की  जरूरत  है’ !
[3]
‘कुछ  कारण’ ‘रिश्तों’  को, ‘बेशकीमती’  बनाते  हैं,
‘कुछ रिश्ते’ अकारण ही ‘बेशकीमती’ बन जाते हैं,
‘इसे जीवन की ‘कमाई पूंजी’ समझो,’संजोए रखो,
‘ प्रयासरत  रहो , कभी  ‘ धुन ‘  लग  पाए  उन्हें ‘ !
[4]
‘सफलता’  के  पथ  में  ‘प्रतिभा’  से ‘मनोदशा’  ज्यादा  काम  करती  है,
‘हर  चुनौती’  को  एक  मौका  समझ , ‘विजय  का  प्रयास’  उत्तम  है’ !
[5]
‘एक  दूसरे  की  भावनाओं  को  महत्व  देना , ‘ खुशहाली  का  प्रतीक  है,
‘क्रोध’  में  अवसाद,  तनाव,  जैसी  ‘नकारात्मक  सोच’  से  बचते  रहें !
[6]
‘हम अपनी ‘अपेक्षाएं’ बढ़ाएं रखते हैं,’ तो कहीं खुद को ‘कोसते’ रहते हैं ,
‘हम  आपाधापी  से  ‘ अपनी  खुशियों ‘  को  ‘ सीमित ‘  किए  रखते  हैं’ !
[7]
‘उंगलिया सिखाती हैं, सभी समान नहीं होते, ‘क्रमानुसार’ कर्ता की व्यवस्था है,
‘फिर  भी  ‘ भेदभाव  की  नीति ‘ ‘ भूचाल ‘  पैदा  किए  जा  रही  है  रोज’ !
[8]
‘इंसानी  दिमाग’  बड़ा  फितऱती  है,
‘शांत’  बैठना  ही  नहीं  चाहता,
‘दर्द  के  पुराने  लम्हों  को,
‘पेश’ करने  से  रुकता  ही  नहीं’ !
[9]
‘परेशानियां’  तो  आएगी,’ हल’  ढूंढते  रहने  में  ही  ‘हित’  है  सबका,
‘सकारात्मकता’  से  ही ‘डगमगाती  नैय्या’  का  हल  अपेक्षित  है’ !
[10]
‘बीती  हुई  बिसार  दे,
‘वर्तमान’ को  स्वीकार  करता  चल,
‘जो  भी  होगा  वह  भी  देखा  जाएगा,
‘भविष्य’ का  कुछ  पता  नहीं’ !
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