: वंदेमातरम:
: वंदेमातरम् :
अगर बांग्ला भाषा को ध्यान में रखा जाय तो इसका उचारण ” बंदे मातरम ” होना चाहिये । 1870 _ 1880 के दशक में अंगरेज शासको ने समारोहों में ” गाड सेव द क्वीन ” ब्रिटेन का राष्ट्रीय गान गाना आवश्यक कर दिया था । इस आदेश से बहुत से देशभक्त भारतीय मर्माहत थे । ब्रिटिश शासन में सव – बंकिमचंद्र चटर्जी डिप्टी कलकटर थे |
उन्होने 1876 में बांग्ला और संस्कृत के मिश्रण से वंदेमातरम् ‘ राष्ट्रीय गीत’ की रचना की ।
शुरुआत के दो पद तो संस्कृत में थे जिनमें मातृभूमि की प्रार्थना की गयी थी बाकी आगे के पद बांग्ला भाषा में थे जिनमें माँ दुर्गा की स्तुति की गयी थी ।
1882 में बंकिमचंद्र ने आनन्द मठ नामक उपन्यास लिखा तब उसमें इस गीत को शामिल कर लिया ।
यह उपन्यास अँगरेजी शासन , जमींदारो द्वारा शोषण अकाल से मरे लोगों के संदर्भ में अचानक उठ खड़े हुए सन्यासी विद्रोह पर आधारित था । उपन्यास में यह गीत भवानन्द सन्यासी गाते हैं । 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गुरुवर रविन्द्रनाथ ने इसे गाया । 1905 में बनारस में सरला देवी चौधरानी ने इसे सवर दिया । यह गीत 7. नवम्बर , 1875 को पुरा हुआ था
यह गीत सवतंत्रता संग्राम सेनानियों , क्रांतिकारी , देश के लोगों के जुवान पर चढ़ गया । क्रांतिकारी पं रामप्रसाद विसमिल ने वंदेमातरम नामक पुस्तक लिखी और इसी के तरनुमा पर उर्दू में भी लिखा जिसे ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था । लोकप्रियता से अंगरेज शासक बौखला गये ।
24__1__1950 को सव _, राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू ने ‘ जन गण मन ‘ को ‘राष्ट्र गान ‘ और ‘ वंदेमातरम् ‘ को ‘ राष्ट्र गीत ‘ का ‘ प्रस्ताव पेश किया ‘ ‘ जिसे मान लिया गया ‘ । मोहम्मद इकबाल की एक रचना ” सारे जहाँ से अच्छा ” भी लोगों के जुबान पर खूब था ।
जय हिन्द , वंदेमातरम ।